रानीताल का इबाबतगाह है खास
शहर के सबसे पुराने ईदगाहों में से एक है। इसका इतिहास एक सदी पुराना है। यहां का इबादतगाह Prayers बेहद खास है, जिसके चलते पीढ़ी दर पीढिय़ों से यहां पर नमाज अता की जाती है। ईद के पहले यहां लाइट और नमाजियों के लिए कई इंतजाम किए जाते हैं।
गोहलपुर gohalpur का मोमिन ईदगाह सबसे पुराना
शहर का दूसरा सबसे पुराना मोमिन ईदगाह है। इसका निर्माण 1352 में हुआ था। इदुज्जहा और इदुलफितर के मौकों पर यहां नमाज अता करने बड़ी संख्या में नमाजी पहुंचते हैं।
खूबसूरत गुंबदों से सजा है सदर का ईदगाह
सदर स्थित ईदगाह भी शहर के पुराने ईदगाहों मे से एक है। यहां खूबसूरत गुबंदों और नक्काशी सभी को आकर्षित करती है। ईदगाह के बाहर लगने वाला मेला भी खास होता है।
गढ़ा बजरिया ईदगाह का भी है सुनहरा इतिहास
गढ़ा, बजरिया स्थित इस ईदगाह का इतिहास भी 150 साल से भी ज्यादा पुराना है। दोनों की ईद में यहां नमाजी बड़ी संख्या में शामिल होकर अमन और चैन की दुआ करते हैं।