खेती की लागत कम करने के लिए मिलकर काम
खेती की लागत को कम करने के लिए दोनों विश्वविद्यालय मिलकर काम करेंगे। कृषि विवि उन्नत एवं ताकतवर किस्मों को तैयार करने पर फोकस करेगा, वहीं वेटरनरी विवि गो आधारित कृषि पर काम करेगा। विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञ अनुसंधान के माध्यम से काम करेंगे।जैविक खेती पर विशेष जोर- जानकारों के अनुसार जैविक खेती पर जोर दिया जा रहा है। निर्णय लिया है कि जैविक खेती को 25 फीसदी तक लाया जाए। प्रदेश में जैविक खेती का प्रतिशत अभी करीब 10 से 13 फीसदी है। पारम्परिक खेती के साथ जैविक खेती को भी अपनाया जाता है तो आय बढ़ेगी। दक्षिण भारत में इस दिशा में काम हो रहे हैं।
सोलर एनर्जी की दिशा में भी काम
सोलर एनर्जी की दिशा में भी प्रयास किए जाएंगे। सोलर उर्जा के माध्यम से पैनल लगाकर कि किसान पम्प के लिए खुद बिजली उत्पादन कर उपयोग कर सकेगा। इससे खेती का बजट कम होगा।
यह दिए गए सुझाव
– गो आधारित कृषि व्यवस्था लागू करने
– फार्म में सीधे ट्रेनिंग देने की व्यवस्था
– देशी गायों को बढ़ावा दिया जाए
– नेचुलर खेती पर जोर
– सोलर एनर्जी से किसानों को जोडऩा
पहली बार कृषि और पशुपालन विश्वविद्यालयों की बैठक हुई है। पशुओं को बीमारियों से बचाने, नस्ल सुधार के साथ ही गो आधारित उत्पाद तैयार करने में विवि प्रशासन प्रयास करेगा। इससे किसानों की आय दोगुनी होगी।
डॉ.पीडी जुयाल, कुलपति वेटरनरी विवि
खेती को लाभ का धंधा बनाना आवश्यक है। इसके लिए सभी विश्वविद्यालय एक प्लेटफॉर्म पर आकर काम करेंगे। इस दिशा में प्रयास शुरू किए जा रहे हैं। निश्चित ही सफलता मिलेगी।
-डॉ.पीके बिसेन, कुलपति कृषि विवि