फैक्ट फाइल
216 प्रदेश में जेल-उपजेल
2.11 करोड़ रुपए अनुमानित लागत
60 दिन अनुमानित समय लगेगा
जिला अदालत व हाईकोर्ट में लंबित मुकदमों की मिलेगी 24 घंटे जानकारी
हाईकोर्ट प्रदेश के सभी जेल-उपजेल में लगाएगी कियोस्क
बंदी होंगे हाइटेक, जेल में ही एक टच पर जानेंगे अपने केस का हाल
जिला अदालत, हाईकोर्ट की जानकारी देंगे- मप्र हाईकोर्ट से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश की सभी जेल-उपजेल में ये कियोस्क लगाने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। इन्हें सीधे मप्र हाईकोर्ट की अधिकृत वेबसाइट से जोड़ा जाएगा। कियोस्क में केस नंबर, संबंधित बंदी का नाम, अधिवक्ता का नाम एंटर करने पर बंदी को वांछित जानकारी स्क्रीन पर दिखाई देने लगेगी। शिक्षित बंदियों व जेल कर्मियों-अधिकारियों की मदद से अशिक्षित बंदी भी इस सुविधा का उपयोग उठा सकेंगे।
24 घंटे काम करेंगे कियोस्क-
निविदा की शर्तों के अनुसार ये कियोस्क साल के बारह महीने, प्रतिदिन चौबीस घंटे काम करेंगे। ये टच स्क्रीन प्रणली पर आधारित होंगे। इनका स्क्रीन कलर डिस्प्लेयुक्त होगा। इनके जरिए बंदियों को अपने मामलों की आगामी, पिछली तारीखों व आदेशों की जानकारी मिल सकेगी। ये कियोस्क केवल मेंटिनेंस के लिए बंद किए जाएंगे। इसकी पूर्व सूचना दी जाएगी।
2.11 करोड़ रुपए की लागत-
इस काम की निविदा राशि 2.11 करोड़ रुपए रखी गई है। फायनेसिंयल बिड आने के बाद इसकी राशि में किंचित हेरफेर किया जा सकता है। कियोस्क लगाने वाले ठेकेदार को पांच साल तक इनका मेंटिनेंस करना होगा।
मेंटिनेंस में देरी पर लगेगा जुर्माना-
कियोस्क में अधिक गंभीर या कम गंभीर वर्ग की गड़बड़ी होने पर त्वरित मेंटिनेस का जिम्मा ठेकेदारों का होगा। अधिक गंभीर शिकायत का निदान 24 घंटे व कम गंभीर शिकायत का निदान 48 घंटों के अंदर न करने पर ठेकेदार पर क्रमश: दो व एक हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा।
इनका कहना है
&हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता की पहल पर जेलों में ये कियोस्क लगाए जा रहे हैं। इनसे बंदियों की वकीलों आदि पर निर्भरता कम होगी व उन्हें अपने मुकदमों की समय पर जानकारी मिल सकेगी।
– अरविंद शुक्ला, रजिस्ट्रार जनरल, मप्र हाईकोर्ट