scriptदुनिया का सबसे मीठा मटर है ये, फसल आते ही मच जाती है लूट | green peas,agricultural produce,jabalpur,Bhopal, Raipur and Nagpur | Patrika News
जबलपुर

दुनिया का सबसे मीठा मटर है ये, फसल आते ही मच जाती है लूट

दुनिया का सबसे मीठा मटर है ये, फसल आते ही मच जाती है लूट

जबलपुरNov 23, 2019 / 12:27 pm

gyani rajak

green peas

green peas

जबलपुर. जिले के हरे मटर की आवक कृषि उपज मंडी में तेज हो गई है। इसकी खपत और मांग दूसरे शहर और कई राज्यों में भी खूब रहती है। खेतों से मंडी आने के कुछ घंटों में इसकी सप्लाई रायपुर, भोपाल और नागपुर हो जाती है। इन दिनों मंडी में रोजाना पांच से छह हजार क्विंटल हरा मटर आ रहा है। इसमें से 70 से 80 फीसदी मटर बाहर जा रहा है। बाकी स्थानीय बाजार में आ रहा है।
मटर से सब्जी के साथ ही कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। लोगों को यहां के मटर का इंतजार रहता है। समीपी राज्यों के अलावा हैदराबाद और मुम्बई में भी यह बड़ी मात्रा में सप्लाई होता है। अभी बीते साल के मुकाबले मटर की उपज नहीं हुई है। मंडी से अभी भोपाल, रायपुर और नागपुर ही गाडिय़ां जा रही हैं। आवक तेज होते ही अन्य राज्यों में भी सप्लाई शुरू हो जाएगी।

रकबा में बढ़ोत्तरी
मटर के रकबा में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है। यह फसल किसानों के लिए बोनस की तरह काम करती है। क्योंकि, यह कम समय की रहती है, और दाम अच्छे मिल जाएं तो सालभर की भरपाई हो जाती है। इसलिए जिले में लगातार इसका रकबा बढ़ा है। उद्यानिकी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2017-18 में इसका रकबा 20 हजार 900 हेक्टेयर था और उत्पादन करीब 20 लाख 9 हजार मीट्रिक टन था। वर्ष 2018-19 में 21 हजार 950 हेक्टेयर में इसकी बोवनी हुई। उत्पादन का आंकड़ा भी बढकऱ 21 लाख 9 हजार 500 मीट्रिक टन हो गया। वहीं चालू सीजन में कृषि विभाग ने इसका रकबा 23 हजार हेक्टयेर रखा है। उत्पादन भी 23 से 24 लाख मीट्रिक टन हो सकता है।

जिले के हरे मटर की आवक कृषि उपज मंडी में तेज हो गई है। इसकी खपत और मांग दूसरे शहर और कई राज्यों में भी खूब रहती है।
IMAGE CREDIT: patrika
यह है स्थिति
-23 हजार हेक्टेयर में मटर की फसल जिले में।

-24 लाख मीट्रिक टन उत्पादन की सम्भावना।
-06 हजार क्विंटल की आवक मंडी में रोजाना।

-45 रुपए किलो तक है मटर की कीमत।
प्रोसेसिंग यूनिट की संख्या कम
जिले में मटर की पैदावार खूब होती है, लेकिन उसकी प्रोसेसिंग नहीं हो पाती। इसलिए ज्यादा समय तक किसान इसे नहीं रख सकते। जिले में शहपुरा में एक निजी इकाई है। उसकी क्षमता भी करीब 2 हजार बोरा प्रतिदिन है। अभी उमरिया-डुंगरिया में भी एक यूनिट शुरू हुई है, उसकी क्षमता भी 800 से 1000 बोरा प्रतिदिन हैं। इन जगहों पर फ्रोजन मटर बनाया जाता है।

मटर की फसल करीब 23 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में लगी है। उम्मीद की जा रही है कि बीते वर्षों के मुकाबले ज्यादा उत्पादन होगा। मौसम की वजह से फसल थोड़ी प्रभावित हुई, लेकिन जल्द ही मंडी में इसकी आवक तेज हो सकती है।
-एसके निगम, उप संचालक कृषि विभाग
वर्षाकाल लम्बा होने के कारण बोवनी देर में हुई। फिर बादलों से मटर की खेती प्रभावित हुई है, लेकिन उपज काफी मात्रा में मंडी में आ रही है। किसानों को उचित दाम मिल सकें, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
-राजनारायण भारद्वाज, उपाध्यक्ष भारत कृषक समाज
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो