दयोदय में आचार्य विद्यासागर के प्रवचन
जबलपुर•Jun 04, 2019 / 01:09 am•
Sanjay Umrey
mangal pravachan
जबलपुर। साल में 365 या 366 दिन होते हैं, वे सब दिन गुरु के ही होते हैं। आज परम्परा से जिनको मानते हैं, उन गुरुजी के एक प्रकार से विसर्जन करने का दिन है। जिस साधना में उन्होंने क्षीणतम काया का भी उपयोग करके, जो अनंतकाल से भी मोह का उपयोग नहीं होना था, उसको एक प्रकार से क्षीणतर कर दिया है। ये और बात है कि पंचमकाल होने के कारण समय अधिक न मिल पाने से उन्हें शरीर से मुक्ति मिली हो या न मिली हो, परन्तु अवश्य ही उन्होंने उसकी भूमिका बना दी है। उक्त उद्गार आचार्य विद्यासागर ने सोमवार को दयोदय तीर्थ में मंगल प्रवचन में व्यक्त किए।
आचार्यश्री ने अपने गुरु ज्ञानसागर महाराज का स्मरण करते हुए ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि जैसे किसान अपने खेत में कार्य करता है, ठीक वैसे ही गुरुदेव ने कठिन साधना को भी कठिन नहीं माना। उन्होंने कुशाग्र बुद्धि के विद्यार्थी की तरह प्रश्नावली को सुलभ करते हुए कार्य किया। पूर्णत: परायण कक्षा में करने वाले विद्यार्थी की तरह उन्हें किसी कठिनाई का अनुभव नहीं होता था। यह परिचर्या में भावभंगिमा और ललाट पर पडऩे वाली रेखाओं के माध्यम से शिष्यों ने कई बार निरीक्षण कर लिया था। गुरु ने अपने जीवन में ऐसा आदर्श प्रस्तुत किया, जो हमारे लिए प्रेरणादायी है।
योग शिविर आज
आचार्य विद्यासागर की प्रेरणा से आयोजित पूर्णायु आयुर्वेद कौशलम् शीर्षक से कार्यक्रमों की श्रृंखला प्रारम्भ है। इसके अंतर्गत मंगलवार सुबह छह बजे से योगाचार्य डॉ. अवनीश तिवारी के मार्गदर्शन में योग शिविर का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान योगासनों का अभ्यास कराया जाएगा। स्वस्थ व्यक्ति भी अपनी पंचेन्द्रिय सक्रियता और क्रियात्मकता को बढ़ाकर शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास कर सकता है। योग शिविर पूर्णत: नि:शुल्क है।
नस्य क्रिया का कार्यक्रम कल
दयोदय तीर्थ में बुधवार को पंचकर्म नस्य क्रिया कार्यक्रम का आयोजन होगा। प्रो. रवि श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में एक सैकड़ा कुशल नस्य क्रिया विशेषज्ञ इस कार्यक्रम को संचालित करेंगे। पूर्णायु आयुर्वेद की नस्य क्रिया को इंटरनेशनल बुक में स्थान मिलने की सम्भावना है।
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