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जबलपुर

 हरतालिका तीज: अखंड सौभाग्य के लिए किया महादेव का पूजन, घर-घर गूंजे मंगलगीत

रात भर सड़कों पर दिखीं महिलाएं, पति की लम्बी उम्र के लिए रखा निर्जला व्रत

जबलपुरSep 04, 2016 / 11:24 pm

neeraj mishra

hartalika teej

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जबलपुर। भादों की उजेली तीज को मनाया जाने वाला हरतालिका त्योहार जिले में पारंपरिक रूप से मनाया गया। विवाहित महिलाओं व कुवांरी कन्याओं ने भगवान शिव और माता पार्वती का पूजा-अर्चना किया। अखंड सौभाग्य की कामना को लेकर महिलाओं ने दिन भर निर्जला व्रत रखा। यह त्यौहार करवाचौथ से भी कठिन माना जाता है। क्योंकि जहां करवाचैथ में चांद देखने के बाद व्रत पारण किया जाता है वहीं इस व्रत में अगले दिन पूजन के बाद ही व्रत पारण किया जाता है।

सुबह सूर्योदय के पूर्व महिलाओं ने स्नान किया। अधिकांश महिलाओं ने नर्मदा घाटों पर डुबकी लगाई। इसके बाद शिव मंदिर में पूजन अर्चन किया। दिन भर निर्जला व्रत रखने के बाद शाम से पूजन का सिलसिला शुरू हुआ। फुलहरा के नीचे बैठकर महिलाओं ने भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन किया।धूप, दीप, फल, मेवा, मिष्ठान से भगवान शिव की रात्रि के पहर में भी आरती की। रात भर घरों में मंगल गीत चलते रहे। ढोलक की थाप पर महिलाएं रात भर गाती रहीं। जिसकी गूंज सूर्योदय तक सुनाई दी।

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दिन भर रही चहल-पहल

गणेश चतुर्थी के एक दिन पूर्व पति की दीर्घायु की कामना के लिए सुहागिन महिलाओं ने हरतालिका तीज पर निर्जला व्रत रखा। दिन भर मंदिरों में भीड़ लगी रही। इसके साथ ही बाजार गुलाजार रहा। महिलाओं ने व्रत में उपयोग होने वाली पूजन सामग्री खरीदी। बड़े फुहारा, छोटे फुहारा क्षेत्र में रात भर महिलाएं सड़कों पर एक दूसरे के घर आती-जाती रहीं। दरसल ये महिलाएं व्रत के दौरान होने वाले आयोजनों में शामिल होने के लिए घरों से निकलीं।

इसलिए रखा जाता है व्रत

इस व्रत से जुड़ी एक मान्यता यह है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती जी के समान ही सुखपूर्वक पतिरमण करके शिवलोक को जाती हैं। सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखंड बनाये रखने और अविवाहित युवतियां मन इच्छित पर पाने के लिए हरितालिका तीज का व्रत करती हैं। इस दिन विशेष रूप से गौरी-शंकर का ही पूजन किया जाता है।

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चले धार्मिक अनुष्ठान

ज्योतिर्विदों के अनुसार भगवती पार्वती ने भोलेनाथ को वर स्वरूप प्राप्त करने के लिए हर तालिका तीज व्रत किया था। हर तालिका तीज पर व्रतधारी सुहागिनें और कन्याओं ने रात्रि जागरण किया। पुरोहितों ने भी घरों में धार्मिक अनुष्ठान कराए। भगवान शिव को धतुरा, बेलपत्र और आक का फूल चढ़ाया वहीं जगदम्बा पार्वती को वस्त्र व शृंगार अर्पित किया गया। भोर में ही नर्मदा तट, हनुमाताल, अधारताल, गंगासागर, सूपा ताल में विसर्जन, हवन के साथ व्रत पूर्ण होगा।

पकवानों में भी शृंगार

हर तालिका तीज व्रत में घरों में जो पकवान बनाया गया, उनमें भी आभूषणों की झलक दिखी। गुलौआ चौक की कमला मिश्रा का कहना है कि पकवानों का प्रसाद भी महादेव और भगवती पार्वती को अर्पित किया जाता है। पकवानों को कंगन, बाली, नथिनी, पायल, बिछिया और लौंग के रूप में बनाया गया है। ये परम्परा वर्षों से चली आ रही है।

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