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जबलपुर

बन रहा रोस्टर, अवकाश में हाईकोर्ट करेगी पुराने मुकदमों की सुनवाई

विशेष बेंचें सुनेंगी पुराने मामले, पांच व दस साल पुराने मामले निपटाने का लक्ष्य
 

जबलपुरApr 21, 2019 / 01:03 am

prashant gadgil

mp high court

mp high court

जबलपुर। 17 मई से 17 जून तक एक माह मप्र हाईकोर्ट में अवकाश तो होगा, लेकिन अरसे से लंबित मामलों की सुनवाई भी होगी। हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की कमी के बावजूद मुकदमों का बोझ हल्का करने की मुहिम शुरू हो गई है। हाईकोर्ट प्रशासन ने गर्मी की छुट्टी में 10 व 5 साल पुराने लंबित मामलों के प्राथमिकता से निस्तारण का खाका तैयार कर लिया है। इसके लिए विशेष बेंचें बैठेंगी। हाईकोर्ट का लक्ष्य जेल में बंद कैदियों की अपीलों को अधिक से अधिक निर्णीत करने का है। वर्षों से सुनवाई का इंतजार कर रही और सारहीन हो चुकी याचिकाओं को भी सूचीबद्ध करके निपटाया जाएगा।
पूरे माह होगी पुराने मामलों की सुनवाई
जानकारी के अनुसार विशेष बेंचें आपराधिक मामलों के अलावा सिविल मामलों भी निपटायेगी। आपराधिक मामलों में खासतौर पर जेलों में बंद कैदियों की अपीलें व उनकी जमानत अर्जियों को तरजीह दी जायेगी। पारिवारिक झगड़े, बीमा भुगतान विवाद जैसे छोटे-मोटे सिविल मामले व अर्थहीन हो चुके मामलों को सुनवाई के लिए लगाया जायेगा। विशेष अदालतें पूरे एक माह तक बैठेगी। मुख्य न्यायाधीश का जोर मुकदमों के बोझ कम करने के अलावा जेलों में बंद कैदियों को न्याय देने पर है।
जारी है विशेष अभियान
मप्र हाईक ोर्ट ने पांच साल पुराने मुकदमों का निराकरण करने के लिए 1 जुलाई 2015 से मुहिम आरंभ की थी। इसके तहत फाइनल हियरिंग की साप्ताहिक सूची में प्रत्येक जज के समक्ष 20 साल पुराने 20 व 10 साल पुराने 30 मामले नियमित रूप से लगाए जा रहे हैं। इसी मुहिम के तहत ग्रीष्मावकाश में पुराने मामलों की सुनवाई के लिए विशेष बंेचें बैठेंगी। हाईकोर्ट के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार पांच व दस साल पुराने मामलों को चिन्हित कर सूचीबद्ध किया गया है। इन्हें विशेष बेंचों के समक्ष बराबर अनुपात में सुनवाई के लिए लगाया जाएगा। हाईकोर्ट प्रबंधन इन मामलों की सुनवाई के लिए रोस्टर तैयार कर रहा है। इस रोस्टर के अनुसार अवकाश के दौरान पुराने मामलों को प्राथमिकता पर सुना जाना सुनिश्चित किया जाएगा।
सजा भुगत चुके अपराधियों को प्राथमिकता
जानकारी के मुताबिक 10 साल या उससे अधिक सजा भुगत चुके अपराधियों के आवेदनों को प्रथम वरीयता सूची में रखा जाएगा। इनके मुकदमों की सुनवाई सुनिश्चित होने के बाद उन बंदियों के आवेदनों की सूची बनाई जाएगी, जिन्होंने 10 साल से कम सजा काटी है। इसके बाद सजा काटने की अवधि के घटते क्रम में लंबित आवेदनों पर विचार होगा। उक्त श्रेणी में आने वाले मामलों की सुनवाई के लिए पक्षकार या वकील को रजिस्ट्रार के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करना होगा। आवेदन के बाद संबंधित अगले सप्ताह में इस श्रेणी के तहत आने वाले मामलों की अंतिम सुनवाई की जाएगी। इसके लिए हाईकोर्ट ने न्यायालय अवकाश अवधि के दौरान कारागार में निरुद्ध दोषसिद्धों की सुनी जाने वाली दांडिक अपीलें नाम से एक अलग शीर्षक नियत किया है।

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