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जबलपुर

सावधान! जैसे दिखें ये लक्षण, तत्काल पहुंचे डॉक्टर के पास, नहीं तो इलाज में खर्च हो जाएंगे लाखों रुपए

लोगों के लाखों रुपए खर्च हो जाते हैं। वायरल बिगडऩे पर सेहत को सबसे ज्यादा खतरा हो जाता है।

जबलपुरSep 13, 2019 / 02:10 pm

Lalit kostha

baranhospitalmarijparijan

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जबलपुर. बारिश के बीच वायरल बुखार, फंगस और त्वचा में संक्रमण के मरीजों की संख्या बढऩे लगी है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में प्रतिदिन नए मरीज पहुंच रहे हैं। ओपीडी में एक पखवाड़े में करीब दस हजार मरीज पहुंचे। इनमें से तीस से चालीस प्रतिशत मरीज मेडिसिन और डर्मेटोलॉजी की ओपीडी में पंजीकृत हुए। पीडियाट्रिक, गायनिक और हड्डी रोग विभाग की ओपीडी में भी बड़ी संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं। बारिश के बावजूद अस्पताल की मेडिसिन और डर्मेटोलॉजी ओपीडी में मरीजों की संख्या कम नहीं हो रही है। सर्दी-खांसी, बदन में दर्द और शरीर तपने की शिकायत वाले मरीज भी रोज पहुंच रहे हैं।

मेडिकल अस्पताल : ओपीडी में प्रतिदिन आ रहे नए मरीज
नमी का असर, बढ़े बुखार और संक्रमण के मामले
डॉक्टरों का कहना है कि इन छोटी छोटी बीमारियों को यदि समय नहीं रोका गया या इनका इलाज अच्छे से नहीं कराया गया तो ये गंभीर बीमारियों का रूप ले लेती हैं। जिसमें लोगों के लाखों रुपए खर्च हो जाते हैं। वायरल बिगडऩे पर सेहत को सबसे ज्यादा खतरा हो जाता है।

 

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इनमें ज्यादातर वायरल बुखार से पीडि़त होते हैं। दाद-खुजली, अंगुलियों और पैरों में घाव स्किन इन्फेक्शन की शिकायत लेकर आने वाले मरीजों की भी संख्या ज्यादा है। पीडि़तों में बच्चे और बुजुर्ग अधिक हैं। लगातार बारिश के बीच डेंगू, चिकनगुनिया के मरीजों में कमी आई है। कुछ दिन पहले बारिश थमने और धूप निकलने पर मच्छरजनित बीमारी का हमला बढ़ा था। पिछले चार-पांच दिनों से डेंगू, चिकनगुनिया संदिग्ध और पीडि़त मरीजों की संख्या में कमी आई है। डॉक्टरों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में उल्टी-दस्त के मरीज आ रहे हैं। प्रारंभिक इलाज में लापरवाही के कारण ये गम्भीर हालत में अस्पताल आ रहे हैं।


ये है स्थिति
1100 से अधिक मरीज अस्पताल में भर्ती
10 हजार से ज्यादा मरीजों की एक पखवाड़े में हुई जांच
30-40 प्रतिशत मेडिसिन, डर्मेटोलॉजी के
25-30 प्रतिशत गायनिक, हड्डी, पीडियाट्रिक में
15-30 प्रतिशत बाकी आठ विभागों की ओपीडी में
मौसमी बीमारी के मरीज लगातार आ रहे हैं। ओपीडी में भी मरीजों की संख्या बढ़ी है। आसपास के जिलों से गंभीर हालत में आने वाले मरीजों के कारण अस्पताल में क्षमता से ज्यादा मरीज भर्ती हैं।
डॉ. राजेश तिवारी, अधीक्षक, मेडिकल अस्पताल

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