एक अन्य याचिका में कहा गया कि एमपीपीएससी ने 14 नवंबर को 450 शासकीय पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ की । कानून में संशोधन लागू कर इस प्रक्रिया में 27 प्रतिशत पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित कर लिए गए। अधिवक्ता आदित्य संघी, दिनेश उपाध्याय, सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता ने तर्क दिया कि इसके चलते शासकीय नौकरियों में आरक्षण की कुल सीमा बढकऱ 63 प्रतिशत हो गई है, जो कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का उल्लंघन है। वहीं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग ( ईडब्ल्यूएस) को दिए जा रहे १० फीसदी आरक्षण से एससी, एसटी व ओबीसी को वंचित रखे जाने व मप्र हाईकोर्ट की नियुक्तियों में बढ़ा हुआ ओबीसी आरक्षण न लागू करने के खिलाफ भी याचिकाएं दायर की गई हैं। सभी 11 याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई नहीं हो सकी।