इंदौर की प्रांजलि टेकरे, डॉ दीप्ति गुप्ता व ग्वालियर की डॉ लक्ष्मी तिवारी ने याचिकाएं दायर कर कहा कि सभी ने मप्र लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी ) की ओर से 2017 में आयोजित असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा दी। याचिकाकर्ताओं के अंकों के आधार पर उनका चयन सामान्य महिला वर्ग के लिए आरक्षित पदों पर किया जाना था। लेकिन एमपीपीएससी ने याचिकाकर्ताओं के पात्र होने के बावजूद उनकी जगह अन्य अनारक्षित वर्ग की महिला अभ्यर्थियों के नाम चयन सूची में शामिल कर लिए। अधिवक्ता ब्रह्मानंद पांडे ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में हाईकोर्ट की शरण ली गई थी। कोर्ट ने एमपीपीएससी को निर्देश दिए थे कि सामान्य वर्ग की महिलाओं के लिए किए गए होरिजेंटल आरक्षण के नियम व सुको के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए इनकी चयन सूची से अनधिकृत अभ्यर्थियों के नाम हटाकर य्फिर से चयन सूची जारी की जाए। लेकिन एमपीपीएससी ने इस निर्देश का पालन नहीं किया। नये सिरे से बनाई गई चयन सूची में भी अनारक्षित वर्ग की महिला अभ्यथियों को सामान्य महिला वर्ग के लिए आरक्षित कोटे में शामिल कर लिया गया। उन्होंने इसे अनुचित बताते हुए उक्त चयन सूची स्थगित करने का आग्रह किया। प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने उक्त चयन सूची को स्थगित कर अनावेदकों से जवाब-तलब किया।