यह है मामला
होशंगाबाद सर्किल में फॉरेस्टर के रूप में कार्यरत रामकिशोर कीर 2002 में एसटी कैटेगरी से फॉरेस्ट गार्ड पद पर नियुक्त हुआ था। आठ जनवरी 2003 को भारत सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कीर जनजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची से हटा दिया। इसके बावजूद रामकिशोर को 31 मार्च 2015 को पदोन्नत कर दिया गया। इस त्रुटि की जानकारी होते ही विभाग ने उसे शोकॉज नोटिस देकर उसका प्रमोशन निरस्त कर दिया। इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट की शरण ली।
डिवीजन बैंच में दी थी चुनौती
प्रकरण में कोर्ट ने याचिकाकर्ता की सुनवाई का अवसर देने के निर्देश दिए। इसके बाद भी विभाग ने छह दिसंबर 2012 को पदोन्नति का आदेश निरस्त करने का फैसला यथावत रखा। इसे फिर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। लेकिन, चार अक्टूबर 2018 को सिंगल बेंच ने प्रमोशन निरस्त करने का आदेश उचित बताते हुए याचिका निराकृत कर दी। इसी आदेश को रामकिशोर ने अपील के जरिए डिवीजन बेंच के समक्ष चुनौती दी थी। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपील निरस्त करते हुए कहा कि अपीलकर्ता ने कोई गलतबयानी नहीं क ी या भ्रामक जानकारी नहीं दी, यह बात तर्कसंगत नहीं है। अपीलकर्ता का पक्ष अधिवक्ता आनंद सिंह व राज्य सरकार का पक्ष अधिवक्ता नम्रता अग्रवाल ने रखा।
पगारा बांध परियोजना पर ये तर्क
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि सागर जिले की बंडा तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत बमाना में निर्माणाधीन पगारा बांध व पंचम नगर बैराज परियोजना के लिए जारी प्रक्रिया में कोई अवैधानिकता नहीं है। कोर्ट ने इस परियोजना के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश एसके सेठ व जस्टिस वीके शुक्ला की युगलपीठ ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता की चुनौती सारहीन है।
याचिका में ये की गई अपील
ग्राम पंचायत बमाना की सरपंच आमना बाई अहिरवार ने 2017 में जनहित याचिका दायर की थी। कहा गया कि पगारा डैम व पंचम नगर बैराज के नाम पर ग्राम पंचायत बमाना अंतर्गत 11 गांवों को उजाडऩे की तैयारी है। बांध परियोजना के पहुंच मार्ग के लिए ग्रामवासियों के विस्थापन और पुनर्वास से कई परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा। जबकि, कार्यपालन यंत्री ने वैकल्पिक पहुंच मार्ग की रिपोर्ट दी है, जो अपेक्षाकृत कम लागत में तैयार हो जाएगा। इससे कई गांव डूब क्षेत्र में आने से बच जाएंगे। लिहाजा यह प्रस्ताव मंजूर किया जाए। राज्य शासन की ओर से बताया गया कि कुल 274 परिवार प्रभावित हो रहे हैं, इनमें से 89 को पहले मुआवजा दे दिया गया। बाकी 185 में से 129 को हाल ही में मुआवजा मिल गया। 56 परिवारों को मुआवजे की प्रक्रिया जारी है। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि परियोजना कैबिनेट से पास हो चुकी है। इसके लिए ग्रामसभा ने भी मुआवजा स्वीकार करने का प्रस्ताव पारित किया था। जनहित याचिका दायर करने के लिए सरपंच को अधिकृत करने के लिए ग्रामसभा के प्रस्तुत प्रस्ताव में सभी सदस्यों के हस्ताक्षर नहीं हैं। इसलिए जनहित याचिका सारहीन है।