जनहित याचिका में आरोप, हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से अधिसूचना के संबंध में जानकारी देने को कहा
जबलपुर•Nov 20, 2019 / 01:06 am•
shivmangal singh
Court: एसीएफ ने दी दो महीने की मोहलत, जनवरी में होगी सुनवाई
जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया गया कि लोकायुक्त संगठन में दर्ज की गई एफआईआर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद सार्वजनिक नहीं की जा रही हैं। चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता से ही पूछ लिया कि राज्य सरकार के इस संबंध में जारी अधिसूचना के बारे में उनका क्या कहना है? इसके लिए दो सप्ताह का समय दिया गया।
गढ़ा जबलपुर निवासी छात्र विशाल बागरी ने यह याचिका दायर की। कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के तहत सभी जांच एजेंसियों को दर्ज की जाने वाली एफआईआर सार्वजनिक करनी चाहिए। राज्य में पुलिस, सीबीआई तो ऐसा कर रहे हैं, लेकिन लोकायुक्त संगठन इस दिशानिर्देश की खुली अनदेखी कर रहा है। लोकायुक्त में दर्ज एफआईआर सार्वजनिक नहीं की जातीं। इसके चलते जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होती है, उन्हें इसकी सूचना व कॉपी आसानी से नहीं मिल पाती। इसके लिए दलाली होती है। अधिवक्ता निशांत जैन ने तर्क दिया कि राज्य सरकार की एक अधिसूचना की आड़ लेकर लोकायुक्त संगठन यह अवहेलना कर रहा है, जिसमें सरकार ने उन्हें एफआईआर सार्वजनिक न करने की छूट दी है। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने उन्हें आपत्ति को जवाब दो सप्ताह में पेश क रने को कहा।
वाहन विक्रेता लौटाए मार्जिन मनी और रजिस्ट्रेशन शुल्क
जबलपुर. जिला उपभोक्ता फोरम ने सुधारने के लिए आया वाहन न लौटाने पर वाहन निर्माता व विक्रेता कंपनी को सेवा में कमी का दोषी पाया। फोरम ने आदेश दिए कि कंपनी उपभोक्ता के वाहन की जमा की गई मार्जिन मनी का एक लाख रुपए, रजिस्ट्रेशन शुल्क 21 हजार रुपए मय ब्याज के लौटाए। साथ ही उपभोक्ता को हुई मानसिक पीड़ा के एवज में उसे 25 हजार रुपए हर्जाना भी अदा किया जाए। गायत्री नगर कटनी निवासी गीता बाई चौहान ने परिवाद दायर कर कहा कि उसने नेपियर टाउन स्थित ऑटोमोबाइल्स से वाहन फायनेंस पर लिया।
जानकारी के अनुसार इसके लिए एक लाख रुपए मार्जिन मनी व रजिस्ट्रेशन शुल्क 21 हजार रुपए जमा किए गए। 12 दिसम्बर 2012 को वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने पर कंपनी के वर्कशॉप भेजा गया, लेकिन कंपनी ने फिर वाहन नहीं लौटाया। मामला फोरम से होता हुआ राज्य उपभोक्ता आयोग तक गया, लेकिन आयोग को सूचना दी गई कि उसे बेच दिया गया।
पेंटीनाका लेफ्ट टर्न पर यथास्थिति के निर्देश
जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने पेंटीनाका चौराहे पर प्रस्तावित लेफ्ट टर्न बनाने के लिए वहां के व्यापारियों को धारा 257(2) के तहत जारी किए गए नोटिस हाईकोर्ट ने फिलहाल स्थगित कर दिए। चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने मामले पर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए। अधिवक्ता द्वारका प्रसाद वर्मा व अन्य की ओर से याचिका दायर कर कहा कि लेफ्ट टर्न बनाने की कार्रवाई को लेकर 43 व्यापारियों को हटाने के लिए नोटिस तो दे दिए गए, लेकिन कोई योजना उन्हें नहीं बताई गई। यह अनुचित है।
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