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जबलपुर

रिटायरमेंट के बाद नहीं मिलेगा अर्जित अवकाश का नकदीकरण

हाईकोर्ट का अहम आदेश : सरकार की अपील मंजूर

जबलपुरNov 28, 2019 / 12:48 am

shivmangal singh

Courtroom

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जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश में निर्धारित किया कि शासकीय कंटिन्जेंसी कर्मियों को सेवानिवृत्ति के बाद अर्जित अवकाश का नकदीकरण नहीं किया जाएगा। जस्टिस संजय यादव व जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिवीजन बेंच ने इस मत के साथ राज्य सरकार की अपील मंजूर कर ली। कोर्ट ने सिंगल बेंच का वह आदेश निरस्त कर दिया, जिसमें कहा गया था कि अर्जित अवकाश का रिटायरमेंट के बाद भी नकदीकरण किया जा सकेगा।
यह है मामला- राज्य सरकार की ओर से यह अपील दायर कर कहा गया कि सरकारी नीति के तहत अस्थायी सरकारी कर्मियों को कार्यकाल के दौरान अर्जित अवकाश की पात्रता है। कार्यकाल के दौरान वे यह अवकाश ले सकते हैं या इसका नकदीकरण करा सकते हैं। रिटायरमेंट के बाद अर्जित अवकाश का नकदीकरण न किए जाने के नियम को कई सेवानिवृत्त कर्मियों ने चुनौती दी। इन पर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने २४ जुलाई २०१८ को फैसला सुनाते हुए कहा कि अर्जित अवकाश का नकदीकरण रिटायरमेंट के बाद भी किया जाना चाहिए। इसी फैसले को अपील में चुनौती दी गई।
शासकीय अधिवक्ता विवेक रंजन पांडे ने तर्क दिया कि नियमानुसार अस्थायी कंटिन्जेंसी कर्मियों को अधिकतम 30 दिन व स्थायी होने वाले कंटिन्जेंसी कर्मियों को 120 दिन का अर्जित अवकाश मिलता है। लेकिन यह सुविधा केवल कार्यकाल के दौरान ही दी जाती है, रिटायरमेंट के बाद नहीं। सहमत होकर कोर्ट ने सिंगल बेंच का आदेश निरस्त कर दिया।


महापौर के अप्रत्यक्ष निर्वाचन को दी चुनौती दोबारा खारिज
जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने राज्य में महापौर व नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाने के खिलाफ दायर दूसरी जनहित याचिका भी खारिज कर दी। इससे पूर्व भी एक अन्य जनहित याचिका खारिज की जा चुकी है।चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल व जस्टिस विष्णुदेव प्रताप सिंह की डिवीजन बेंच ने कहा कि पहले भी कोर्ट अप्रत्यक्ष प्रणाली से निर्वाचन कराए को सही करार दे चुकी है। वहीं याचिकाकर्ता इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने की तैयारी कर रहे हैं।
जबलपुर निवासी डॉ.पीजी नाजपांडे व एमए खान की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि नगरीय निकाय चुनाव अंतर्गत महापौर व नगर पालिका अध्यक्ष पद का निर्वाचन प्रत्यक्ष के स्थान पर अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाने का निर्णय अनुचित है। महापौर व नगर पालिका अध्यक्ष के निर्वाचन सीधे तौर पर जनता के मतदान के जरिए कराए जाने की प्रक्रिया अपेक्षाकृत अधिक लोकतांत्रिक थी। संशोधित अप्रत्यक्ष प्रणाली के तहत महापौर व नगर पालिका अध्यक्ष का निर्वाचन पार्षदों के जरिए कराए जाने की व्यवस्था दी गई है। अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने तर्क दिया कि इस प्रणाली से लोकतांत्रिक मूल्यों पर कुठाराघात होगा। भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलेगा।

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