जबलपुर . हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान ओपन कोर्ट में याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि जब अन्य कानूनी उपचार उपलब्ध हैं तो याचिकाकर्ता मुंह उठाकर सीधे हाईकोर्ट में जनहित याचिका लेकर क्यों आ गए? चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने इस मत के साथ यह याचिका खारिज कर दी।
पहले सक्षम अधिकारी को आवेदन दें कोर्ट ने कहा कि मनरेगा एक्ट के तहत ही याचिकाकर्ता को अपनी शिकायत रखने का प्रावधान है, लिहाजा इसके तहत सक्षम अधिकारी को आवेदन दें। टिमरनी तहसील जिला हरदा के निवासी ओमप्रकाश गौर ने यह याचिका दायर की थी। कहा गया था कि जिले में मनरेगा योजना के तहत जमकर भ्रष्टाचार हुआ है।
इन्होंने की राशि की बंदरबांट ग्राम पंचायत पिपल्या कलां, तहसील टिमरनी की सरपंच Óज्योति कटारे, सचिव विनोद कहार व ग्राम
रोजगार सहायक प्रियंका कटारे ने मिल कर इस योजना के तहत आवंटित राशि की बंदरबांट की है। इसकी जांच करा कर दोषियों को दंडित किया जाए।
मनरेगा अधिनियम के तहत प्रावधान सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता अमित सेठ ने कोर्ट को बताया कि मनरेगा एक्ट के तहत इस तरह की शिकायतों के निवारण के लिए मनरेगा अधिनियम के तहत ही प्रावधान किए गए हैं। याचिकाकर्ता को पहले अधिनियम के तहत सक्षम अधिकारी को अपनी शिकायत दर्ज करानी थी। लेकिन एेसा नहीं किया गया। याचिकाकर्ता का पक्ष अधिवक्ता एलएन साकल्ले ने रखा।
इससे पहले भी लग चुकी है फटकार हाईकोर्ट में यह पहला वाक्यां नहीं है जब जनहित याचिकाकर्ता को फटकार लगी हो। इससे पहले भी कुछ मौकों पर हाईकोर्ट जस्टिस याचिकाकर्ताओं को जमकर फटकार लगा चुके है। इसमें अधिकांश मामलों में याचिकाकर्ता सीधे न्यायालय में शिकायत लेकर पहुंचे थे। कोर्ट ने सक्ष्म अधिकारी को शिकायत किए बिना सीधे न्यायालय का दरवाजा खटखटाने पर याचिकाकर्ताओं पर नाराजगी जताई थी।
Home / Jabalpur / high court- चीफ जस्टिस बोले, मुंह उठाया और जनहित याचिका लेकर आ गए हाईकोर्ट, जानें पूरा मामला