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जबलपुर

दस साल बाद जवाब के लिए समय मांगने की सरकार की प्रवृत्ति खराब

दूसरे अनावेदकों के जवाब की नकल करने पर हाईकोर्ट ने की निंदा

जबलपुरJul 31, 2019 / 12:54 am

prashant gadgil

High Court

प्रतीकात्मक फोटो

जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि याचिकाओं पर राज्य सरकार की ओर से दूसरे अनावेदकों का जवाब उधार लेना अनुचित है। जस्टिस सुजय पॉल व जस्टिस बीके श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच ने कहा कि दस साल तक दूसरे अनावेदकों के जवाब पर निर्भर रहने के बाद सरकार की ओर से अपना जवाब पेश करने के लिए समय मांगने की प्रवृत्ति अनुचित है। इस मत के साथ कोर्ट ने इंदौर के एक दिवंगत कर्मी के खिलाफ निकाली गई रिकवरी निरस्त कर दी।
यह है मामला
इंदौर निवासी रंगलाल जोशी की पत्नी राधा जोशी, पुत्र राजेश व पुत्री लता शर्मा की ओर से २००९ में याचिका दायर कर कहा गया कि रंगलाल जोशी कोर्ट में चतुर्थ श्रेणी कर्मी थे। नियुक्ति के समय गलती से सेवा पुस्तिका में उनकी जन्मतिथि ६ नवंबर 1937 दर्ज हो गई। उनके आवेदन पर इसमें सुधार कर सही जन्मतिथि 21 अगस्त 1943 कर दी गई। इसके आधार पर उन्हें 31 अगस्त 2003 को रिटायर किया गया। लेकिन जिला कोषालय ने रंगलाल की म़ृत्यु के उपरांत अधिक सेवा करने के एवज में उनसे रिकवरी का उनके परिजनों को नोटिस जारी कर दिया। अधिवक्ता आदित्य संघी ने तर्क दिया कि इस मामले में कोर्ट ने 15 जून को रिकवरी का आदेश स्थगित कर अनावेदकों से जवाब मांगा। जिला एवं सत्र न्यायाधीश इंदौर व हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने दस साल पूर्व दिए अपने जवाब में कहा कि रंगलाल की जन्मतिथि सुधार कर दी गई थी। इसके मुताबिक उसका रिटायरमेंट सही हुआ था। अधिवक्ता संघी ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने भी यही जवाब दिया है। इस पर शासकीय अधिवक्ता सलीम रहमान ने फिर से सरकार की ओर से जवाब देने के लिए समय देने की प्रार्थना की। इस पर कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए इसकी इजाजत देने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने याचिका मंजूर कर याचिकाकर्ता से निकाली गई रिकवरी का आदेश निरस्त कर दिया।

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