यह है मामला
अभियोजन के अनुसार 7 फरवरी 2011 को उमरिया पान थाना क्षेत्र के छोटी पोड़ी गांव में एक दशगात्र कार्यक्रम आयोजित था। कार्यक्रम में दूसरे गांव का एक युवक अपनी पत्नी व तीन साल की बच्ची के साथ गया। बच्ची को खिलाते-खिलाते बहलाकर आरोपी रामचरण उर्फ$ गुड्डू पिता ददोली चौधरी अपने घर ले गया। शाम को करीब 4 बजे बच्ची रक्तरंजित अवस्था में रोते हुए कार्यक्रम वाले घर में आई। पूछने पर उसने बताया कि रामचरण बाबा ने उसके साथ गंदा काम किया। शिकायत पर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर भादंवि की धारा 376(2 )( एफ) के तहत प्रकरण दर्ज किया था।
जहां बालिकाओं को पूजते हैं, वहां क्रूरता की पराकाष्ठा
कटनी अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश राधा सोनकर की अदालत ने मामले में 30 अप्रैल 2013 को अपना फैसला सुनाया । कोर्ट ने कहा कि इतनी कम उम्र की बालिका तो ऐसे कुकृत्य का मतलब भी नहीं समझती। अदालत ने टिप्पणी की थी कि समाज में अबोध बालिकाओं को देवी मानकर पूजा की जाती है। वहां ऐसी अबोध बालिका से दुष्कर्म असामाजिक क्रूरता की पराकाष्ठा है। कोर्ट ने आरोपी को दस वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी।
कम से कम उम्रकैद की हो सजा
इसी फैसले को राज्य सरकार ने 2013 में चुनौती दी थी। इसे बढ़ाकर कम से कम आजीवन कारावास करने की मांग की गई है। सरकार की ओर से अधिवक्ता नम्रता अग्रवाल ने कोर्ट में समाज की वर्तमान हालात का जिक्र करते हुए कहा कि उक्त अमानवीय व जघन्य अपराध के लिए आरोपी को दी गई सजा बहुत कम है। उन्होंने कहा कि अपील पर अंतिम सुनवाई जल्द की जाए, अन्यथा आरोपी सजा काट कर रिहा हो जाएगा। यह आग्रह कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।