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जबलपुर

हाइकोर्ट ने राज्य सरकार की अपील खारिज की, एससीएसटी आयोग के सदस्य प्रदीप अहिरवार पद पर बने रहेंगे

हाइकोर्ट ने राज्य सरकार की अपील खारिज की, एससीएसटी आयोग के सदस्य प्रदीप अहिरवार पद पर बने रहेंगे

जबलपुरMay 28, 2020 / 08:21 pm

abhishek dixit

MP judicial academy

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जबलपुर. मप्र हाइकोर्ट की डिवीजन बेंच ने एसटीएससी आयोग के सदस्य प्रदीप अहिरवार को राहत दी। जस्टिस संजय यादव व जस्टिस विशाल धगट की डिवीजन बेंच ने अहिरवार की याचिका पर 5 मई को सिंगल बेंच की ओर से जारी अंतरिम स्थगन आदेश को सही करार देकर इसके खिलाफ राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी। सिंगल बेंच ने अहिरवार को पद से हटाने पर रोक लगा दी थी।

मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य प्रदीप अहिरवार ने एक याचिका दायर करते हुए भाजपा सरकार की ओर से उनकी नियुक्ति को निरस्त किए जाने के फैसले को कठघरे मे रखा था। याचिका के माध्यम से उनकी नियुक्ति को निरस्त करने की प्रक्रिया को असंवैधानिक बताते हुए निरस्त करने की मांग की गई थी। मामले की प्राथमिक सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट की सिंगल बेंच ने 5 मई को सरकार की ओर से मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष आनंद अहिरवार और सदस्य प्रदीप अहिरवार की नियुक्ति निरस्त किये जाने संबंधी आदेश पर अंतरिम स्थगन आदेश जारी किया था। कोर्ट ने सरकार से जवाब भी मांगा था। इसी आदेश को राज्य सरकार की ओर से अपील में चुनौती दी।

पूर्व महाधिवक्ता शशांक शेखर ने अहिरवार की ओर से तर्क दिया कि आयोग के सदस्य जैसे पद पर की गई नियुक्ति को सिर्फ एक साधारण आदेश जारी करते हुए निरस्त किया गया, जो गलत है। अध्यक्ष और सदस्य को हटाने के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है। इसके साथ ही जिस भी कारण से उन्हे पद से हटाया जा रहा है, उसकी सुनवाई का भी मौका दिया जाता है। लेकिन किसी भी प्रक्रिया का पालन किए बगैर सत्ता मे आते ही संवैधानिक पद पर हुई नियुक्तियों को निरस्त किया गया । तर्क मन्जूर कर सिंगल बेंच ने निरस्तगी के आदेश को स्थगित कर दिया था। इसके खिलाफ प्रदेश सरकार ने डिवीजन बेंच के समक्ष यह अपील दायर की थी। पूर्व महाधिवक्ता शशांक शेखर ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता के मामले में कार्यभार वापस नहीं लिया गया था। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपील ठुकराते हुए कहा कि सरकार ने सिंगल बेंच की ओर से मौका देने के बावजूद अपना जवाब पेश नही किया। इसलिए सिंगल बेंच ने ये आदेश दिया। सरकार को कोर्ट ने छूट दी कि इस सम्बंध में सिंगल बेंच के समक्ष आदेश संशोधन की अर्जी दी जा सकती है। इसी के साथ कोर्ट ने सरकार की अपील निरस्त कर दी।

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