हाईकोर्ट का आदेश: रिट याचिका में नहीं दे सकते एफआईआर दर्ज करने का निर्देश
हाईकोर्ट ने जनहित याचिका का निराकरण कर कहा, संविधान के अनुच्छेद २२६ के तहत रिट याचिका में किसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने का अधिकार नही
जबलपुर.
मप्र हाईकोर्ट ने कहा कि इस कोर्ट को संविधान के अनुच्छेद २२६ के तहत रिट याचिका में किसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने का अधिकार नहीं है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने एक जनहित याचिका का निराकरण इस अभिमत के साथ कर दिया।
दंड प्रक्रिया संहिता के तहत पेश करें आवेदन-
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को छूट दी कि वह दंड प्रक्रिया संहिता के तहत अपनी शिकायत मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर सकता है।
यह है मामला
सिवनी जिले की जोरावारी ग्राम पंचायत के पंच गोविंद सिंह चंद्रवंशी की ओर से याचिका दायर कर कहा गया कि ग्राम पंचायत की पूर्व सरपंच देवकी बाई, पूर्व सचिव बाराती लाल वर्मा, सरपंच विनोद डेहरिया ने जल संसाधन विभाग के एसडीओ केके सक्सेना व डीई पीएस राजपूत के साथ मिलकर पंचायत की राशि को खुर्दबुर्द किया। बड़े पैमाने पर अनियमितता की गई। इसकी शिकायत पर 17नवंबर 2016 को जनपद पंचायत सीईओ ने मामले की जांच कराई। जांच रिपोर्ट मेें अनावेदकों को दोषी पाते हुए कार्रवाई की अनुशंसा की गर्ई। लेकिन अब तक किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
अधिवक्ता राहुल त्रिपाठी ने आग्रह किया कि इस भ्रष्टचार के दोषियों पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए जाए। शासकीय अधिवक्ता एचएस छाबड़ा ने इस मांग को कोर्ट के क्षेत्राधिकार के बाहर बताया। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका निराकृत
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