scriptबड़ी खबर – कर्मचारियों के वेतन पर हाईकोर्ट का अहम फैसला | High court verdict on salary of mp government employees | Patrika News
जबलपुर

बड़ी खबर – कर्मचारियों के वेतन पर हाईकोर्ट का अहम फैसला

कर्मचारियों के वेतन पर हाईकोर्ट

जबलपुरOct 04, 2018 / 02:19 pm

deepak deewan

diwali bonus

diwali bonus

जबलपुर. देशभर में सरकारी अमले में लाखों कर्मचारी उचित वेतन को तरस रहे हैं। कहीं संविदा आधार पर नियुक्तियां की गई हें तो कहीं कर्मचारियों को मामूली मानदेय ही दिया जा रहा है। मध्यप्रदेश मे भी ऐसी ही व्यवस्था चल रही है। ऐसे कर्मचारियों को इतना कम वेतन दिया जाता है कि उनके परिवार का तो छोडि़ए, उनका खुद का गुजारा मुश्किल से हो पाता है। इसपर भी उनके मानदेय पर कई अड़ंगे लगा दिए जाते हैं। अफसरों की आपसी लड़ाई में बेचारे छोटे कर्मचारी जाते हैं। उन्हें महीनों तक मानदेय की राशि नहीं दी जाती। कई कागजी प्रक्रियाओं में मामला उलझा दिया जाता है और जब मामले का निराकरण करने की बात की जाती है तो किसी न किसी बहाने से उसे टाला जाता है। किसी तरह मामला सुलझ जाए तो फिर छोटे कर्मचारियों को रिश्चत दिए बिना पुराने पेमेंट नहीं निकल पाता। कुछ मामले तो कोर्ट की दहलीज तक पहुंच जाते हैं जिनमें महीनों, सालों लग जाते हैं।

सीएस को नहीं एनआरएचएम कर्मी का मानदेय कम करने का अधिकार

ऐसा ही एक मामला हाईकोर्ट के समक्ष आया जिसमें कोर्ट ने सख्त फेसला सुनाया है। मप्र हाईकोर्ट ने कर्मचारियों के वेतन के संबंध में यह फैसला दिया है। हाईकोर्ट का फेसला प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के मामले में है। स्वास्थ्य विभाग में नेशनल रूलर हेल्थ मिशन कर्मी का मानदेय कम कर दिया गया तो वे हाईकोर्ट चली आई। कर्मचारी के मामले में विभाग के सीएमओ और सिविल सर्जन की आपसी टकराहट उनके लिए मुसीबत बन गई थी। याचिका पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि सिविल सर्जन को नेशनल रूलर हेल्थ मिशन कर्मी का मानदेय कम करने का अधिकार नहीं है। सीएमएचओ (मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी) के आदेश से तय किए गए मानदेय को सिविल सर्जन नहीं बदल सकता।

एक माह के अंदर पूर्ववत मानदेय प्रदान किया जाए

इस मत के साथ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की सिंगल बेंच ने टीकमगढ़ जिले में कुक के पद पर कार्यरत महिला की याचिका का निराकरण कर दिया। कोर्ट ने कहा कि एक माह के अंदर याचिकाकर्ता को पूर्ववत मानदेय प्रदान किया जाए। प्रकरण में पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता ब्रम्हानंद पांडेय ने की।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो