बरसों से नहीं हैं अध्यक्ष
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे ने यह याचिका २०१५ में दायर की थी। इसमें कहा गया है कि अगस्त २०१० से ही राज्य मानवाधिकार आयोग में पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं हैं। इस पद के लिए हाईकोर्ट का रिटायर्ड चीफ जस्टिस, मप्र का निवासी व ७० वर्ष की आयु से कम व्यक्ति पात्र होता है। लेकिन, जज की जगह पुलिस अधिकारियों को इस पद का प्रभार दिया जा रहा है। यह अनुचित है।
जानें किसने क्या कहा-
– याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अजय रायजादा – माय लॉर्ड, सरकार इस पद पर न्यायिक व्यक्ति की नियुक्ति में रुचि प्रदर्शित नहीं कर रही। इस सुनवाई को मिला कर ३० सुनवाइयां हो चुकी हैं। लेकिन, सरकार ने कोई सार्थक कदम नहीं उठाया। लगातार तारीख पर तारीख ली जाती रही है।
– कोर्ट (एसीएस कमल से)— क्यों जी, क्या ये
सही है?
– एसीएस कमल – जी माय लॉर्ड, इसके लिए प्रयास जारी हैं। कमेटी भी बनाई गई है।
– कोर्ट- फिर अभी तक अध्यक्ष की नियुक्ति क्यों नहीं हुई?
– एसीएस कमल- जी कमेटी अपना काम कर रही है।
– याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रायजादा- माय लॉर्ड, यह गलत है। सरकार महज दिखावा कर रही है।
– कोर्ट- तो आप क्या कर रहे हैं? आपको समझना चाहिए कि मसला गम्भीर व व्यापक जनहित से जुड़ा है।
– एसीएस कमल- माय लॉर्ड, मैें केवल यह बात उच्च स्तर तक पहुंचा सकता हूं। कमेटी में नहीं हूं।
– कोर्ट सरकारी अधिवक्ता से- बार-बार यह कहा जा रहा है कि प्रक्रिया जारी है। फिर नियुक्ति क्यों नहीं हुई?
– शासकीय अधिवक्ता- माय लॉर्ड, कमेटी अपना काम कर रही है। कुछ समय लग सकता है।
– कोर्ट (नाराजगी के साथ)- ठीक है। आपको अंतिम अवसर दिया जाता है। याद रखिए, यदि इस बीच नियुक्ति कर जवाब नहीं दिया गया, तो कोर्ट न्यायिक आदेश के जरिए नियुक्ति करने के लिए विवश हो जाएगी। अगली सुनवाई १६ अप्रैल को होगी। उस दिन भी आप मौजूद रहिएगा।