जिले के 25 थानों में एक साथ ये सर्वे मंगलवार से शुरू किया गया। एक सप्ताह के इस सर्वे का मकसद व्यापक डाटा एकत्र करना है, जिससे पुलिस सुधार में उपयोग किया जा सके। जिले के 25 थानों को ऊर्जा (अर्जेंट रिलीफ एंड जस्ट एक्शन) में चयनित किया गया है। प्रदेश में जे-पल संस्था के सहयोग से जबलपुर सहित 12 जिलों की 180 थानों में ऊर्जा डेस्क गठित किया गया है।
19 अप्रैल 2019 को चालू इस ऊर्जा डेस्क के अंतर्गत तीन कटेगरी ट्रीटमेंट, रेग्युलर व कंट्रोल थानों में बांटा गया है। ट्रीटमेंट वाले थानों में महिला कर्मियों को रखा गया है, जो महिलाओं की शिकायत सुनेंगी। वहीं कंट्रोल रूम में महिला या पुरुष कोई भी शिकायत सुनेगा। जबकि रेग्युलर थानों में सामान्य तरीके से महिलाओं की शिकायतें सुनी जाती है। अब सर्वे के माध्यम से तीनों कटेगरी वाले थानों में आने वाली शिकायतों के निराकरण का पता लगाने की कोशिश की जाएगी।
ये भी देखेंगे
-थानों में लगे सीसीटीवी फुटेज का एक सप्ताह का रिकॉर्ड लेंगे
-सात दिन तक एक सर्वेयर थाने में मौजूद रहेगा और शिकायतकर्ता के अलावा पुलिस कर्मियों से फीडबैक लेगा
-शिकायत कर निकलने वाली महिला या पुरुष थाने में आने पर क्या अनुभव लेकर
जाते हैं
-आरक्षक से लेकर टीआई से अलग-अलग फीडबैक लेंगे कि शिकायत सुनने, उसके निराकरण में क्या दिक्कत आती है
-आम लोगों को कितना रिलीफ मिलता है
-थानों में कितना संसाधन है, कितने की जरूरत है
-पुलिस कर्मी को किस तरह के राजनीतिक या पब्लिक दबाव झेलने पड़ते हैं
-पुलिस में सुधार के लिए पुलिस वाले क्या सोचते हैं
-पुलिस में सुधार के लिए आम शिकायतकर्ता क्या सोचते हैं
-शिकायत सच है या झूठी, इसका पता लगाने के लिए पुलिस क्या करती है
-थानों में झूठी और सच्ची शिकायतें किस तरह की आती हैं।
पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर ऊर्जा डेस्क संचालित करने वाले जे-पल संस्था के लोग जिले के 25 थानों का सर्वे करने आए हैं।
अमित सिंह, एसपी