हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा
जबलपुर•Dec 16, 2021 / 07:13 pm•
prashant gadgil
Jabalpur High Court
जबलपुर . मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व अनूपपुर कलेक्टर से पूछा कि ग्राम पंचायत की रायशुमारी के बिना नई नगर परिषद का गठन कैसे कर दिया गया। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ एवं जस्टिस विजय शुक्ला की डिवीजन बेंच ने नगरीय विकास विभाग के प्रमुख सचिव, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के आयुक्त, शहडोल संभागायुक्त व अनूपपुर कलेक्टर को नोटिस जारी किए। 4 सप्ताह में जवाब मांगा गया। अनूपपुर निवासी आकाश तिवारी व अन्य ने याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि अनूपपुर कलेक्टर ने 3 दिसंबर 2021 को अधिसूचना जारी कर भरगवां, देओहरा और सकोला ग्राम पंचायतों को मिलाकर अमलाई नगर परिषद का गठन कर दिया। याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि मप्र नगर पालिक अधिनियम की धारा 5 (1) एवं 6 में निहित प्रावधानों के तहत अधिसूचना जारी करने से पहले ग्राम पंचायत का अभिमत नहीं लिया गया। दओहरा की 90 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है। इसके अलावा यहां की अधिकांश आबादी बैगा जनजाति की है और उन्हें ग्राम पंचायत की योजनाओं का भरपूर लाभ मिल रहा है। नगर परिषद बनने से उनके पलायन की संभावना है। बताया गया कि अधिसूचना जारी होने के एक दिन बाद ही 4 दिसंबर को आचार संहिता लागू कर दी गई। शासन की जल्दबाजी से साफ है कि कानून के प्रावधानों के विपरीत राजनीतिक लाभ के लिए नगर परिषद का गठन किया गया है। जबकि संविधान के अनुच्छेद 243(क्यू) में यह प्रावधान है कि नगर निगम, नगर पंचायत या नगर परिषद बनाने से पहले उस क्षेत्र की जनसंख्या के आय का साधन और रोजगार के अवसरों की जानकारी लेना आवश्यक है, जो कि नहीं किया गया। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने अनावेदकों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।
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