आम जिंदगी में तकनीक का उपयोग बढऩे के बाद भी डायरी का क्रेज कम नहीं हुआ है। खासकर व्यापारियों में डायरी में हिसाब-किताब लिखने का अब भी चलन है। इसी तरह अवैध धंधे में संचालित लोग भी डायरी में ही पूरा लेन-देन लिखकर रखते हैं। स्मैक, शराब, सट्टा, जुआ, ब्याज का धंधा करने वाले लोगों की डायरी पुलिस के हाथ लग जाए तो यह उनके लिए दोहरा फायदा पहुंचाने वाली साबित होती है।
केस-एक
अमखेरा निवासी सटोरिया श्याम चौधरी के यहां आइपीएस की दबिश में एक डायरी हाथ लगी तो थाने के 24 पुलिस कर्मियों का काला कारनामा उजागर हो गया। 300 से 500 रुपए में ये पुलिस कर्मी सटोरिए को मदद पहुंचा रहे थे।
केस-दो
11 जनवरी को मुस्कान हाइट्स के पास से गिरफ्तार हवाला कारोबारियों के पास से भी ओमती पुलिस ने एक डायरी जब्त की है। इसमें शहर के सात कारोबारियों द्वारा की जा रही टैक्स चोरी का मामला सामने आया है।
केस-तीन
29 सितम्बर को ओमती पुलिस ने स्टेशनरी संचालक अतुल खत्री और दो महीने बाद आयकर की इन्वेस्टीगेशन विंग ने हवाला कारोबारी पंजू को दबोचा। उसके यहां से जब्त डायरी में शहर के 100 व्यापारियों की टैक्स चोरी का खुलासा हुआ।
केस-चार
वर्ष 2017 में कटनी हवाला कांड के मास्टरमाइंड सतीष सरावगी के पास से जब्त डायरी में तत्कालीन मंत्री का नाम सामने आया था। इस मामले की अब तक जांच जारी है। इस डायरी ने कई बड़े और चौंकाने वाले खुलासे किए।
केस-पांच
शहर के एक प्रतिष्ठित बिल्डर के यहां वर्ष 2011-12 में पड़े आयकर छापे में जब्त डायरी में 30 करोड़ और दादा लिखे शब्द ने हंगामा मचा दिया था। इस छापे में काली कमाई को व्यापारिक स्वरूप देने में जुटे कई चेहरे बेनकाब हुए थे।
टैक्स चोरी के कई खुलासे डायरी से
आयकर इंवेस्टीगेशन विंग के अधिकारियों के मुताबिक टैक्स चोरी के कई बड़े प्रकरणों में डायरी बड़े काम की साबित हुई। डायरी से न केवल दूसरे चेहरे बेनकाब होते हैं। वरन यह कोर्ट की कार्रवाई में भी अहम सबूत साबित होता है। अकेले हवाला प्रकरण में ही सितम्बर से अब तक 1500 करोड़ का खुलासा डायरी के पन्ने करा चुके हैं।
आत्महत्या की गुत्थी सुलझा चुकी है डायरी
विजय नगर थाना क्षेत्र अंतर्गत रामेश्वरम कॉलोनी में रहने वाली बैतूल निवासी शिवानी की आत्महत्या का राज भी पुलिस उसकी डायरी से खोल सकी। पुलिस को उसके कमरे से एक डायरी मिली। जिसके पन्नों में शिवानी ने आत्महत्या की वजह अस्पताल में कार्यरत सहयोगी अतुल मिश्रा को बताया था। बाद में पुलिस ने उसे आरोपी बनाया।
डायरी में भी कोडवर्ड का होता है प्रयोग
-सट्टेबाज डायरी में पेंसिल का प्रयोग करते हैं।
-टैक्स चोरी करने वाले और हवाला कारोबारी भी पेंसिल से ही पूरा हिसाब-किताब डायरी में दर्ज करते हैं।
-एक समय के बाद पेंसिल की लिखावट मिट जाती है।
-डायरी में कोडवर्ड का भी प्रयोग किया जाता है, जिसे आसानी से कोई समझ न पाए।
जांच के बाद ही डायरी बनता है साक्ष्य
एसपी अमित सिंह ने बताया कि किसी भी घटनास्थल से जब्त डायरी जांच के बाद ही साक्ष्य बन पाता है। कई बार लोग फंसाने के उद्देश्य से भी डायरी कुछ भी लिख देते हैं। अवैध कारोबार में लिप्त लोगों के बीच जरूर लेन-देन का ब्यौरा डायरी में दर्ज किया जाता है। ये हाथ लगने पर कार्रवाई में मदद मिलती है।