एक करोड़ पेनल्टी
जबलपुर से गई विजिलेंस टीम ने पिछले साल 17 जून को सतना में उत्तरप्रदेश जा रही क्लिंकर भरी ओवरलोड मालगाड़ी पकड़ी थी। इसमें 325 टन ज्यादा माल मिला था। एक करोड़ रुपए की पेनल्टी ठोकी गई थी।
3000 गुड्स ट्रेनें दौड़ीं
पमरे के जबलपुर व भोपाल डिवीजन में बीते कुछ माह में ही तीन हजार ओवरलोड मालगाडिय़ां चलने का अनुमान है। ऐसी एक रिपोर्ट रेलवे बोर्ड तक भी पहुंचाई गई है। इस आंकड़े ने जहां रेल विजिलेंस को सवालों के घेरे में ला दिया है, वहीं दोनों डिवीजन के कमर्शियल, परिचालन व मैकेनिकल विभाग की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह लगा है।
हर 5वीं गाड़ी ओवरलोड
रेल विजिलेंस को मालगाड़ी चैक करने का सबसे अधिक पावर है। वह ओवरलोड मालगाड़ी पकड़कर छह गुना पेनल्टी ठोकती है, लेकिन पमरे विजिलेंस मालगाडिय़ों की ओवरलोडिंग पर शिकंजा नहीं कस पा रही। इसका फायदा जबलपुर डिवीजन की सीमेंट सहित अन्य साइडिंग पर उठाया जा रहा है। तौल में खेल कर रेलवे के खजाने को सेंध लगाने के साथ ट्रैक का कबाड़ा किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो हर 5वीं मालगाड़ी ओवरलोड रहती है।
शोपीस बन गए वेब्रिज
जबलपुर डिवीजन के कछपुरा, पिपरिया, सतना, एनकेजे, खन्नाबंजारी में लगे रेलवे के वेब्रिज शोपीस बनकर रह गए हैं। इन पर मालगाडिय़ों की नियमित जांच नहीं की जाती।