बैटरी से भी दौड़ेंगी ट्रेनें
जबलपुर रेल मंडल के स्टेशनों पर शंङ्क्षटग में सफल
विद्युत लोको शेड एनकेजे ने शंङ्क्षटग कार्य के लिए पहला बैटरी एवं ओएचई (बिजली ) चलित ड्यूल मोड शंङ्क्षटग लोकोमोटिव का निर्माण किया है। इसे जबलपुर, मुड़वारा और अन्य बड़े स्टेशनों पर रेल गाडिय़ों की शंङ्क्षटग में उपयोग कर परखा जा रहा है। जबलपुर से इसे अब रीवा भेजा गया है।
18 डिब्बे खींचने की क्षमता- जानकारों के अनुसार तैयार किए गए इस पॉवर फुल 84 बैटरी इंजन में 18 खाली डिब्बे खींचने की क्षमता है। इसे करीब 40 मिनिट में चार्ज किया जा सकता है। साथ ही 30 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ सकता है। ड्राइवर, लोको इंस्पेक्टर, शंटर को ट्रेंड करना शुरू कर दिया गया है।
यार्ड में शंङ्क्षटग के रूप में इसका प्रयोग किया जा रहा है। बैटरी और विद्युत दोनों से यह काम कर सकता है। चौबीस घंटे शंङ्क्षटग चलती है।
– ओपी यादव, लोको इंस्पेक्टर सतना यार्ड
कई लाइन में विद्युतीकरण नहीं
कई लाइनों में अभी विद्युतीकरण नहीं हो सका है। जहां ङ्क्षसगल लाइन बची हैं वहां डीजल इंजन ही चलाया जा सकता है। उससे करंट फैलने का खतरा भी बना रहता है। ऐसे में बैटरी आधारित इंजन मील का पत्थर साबित हो सकता है। पमरे जबलपुर मंडल के डीसीएम सुनील श्रीवास्तव कहते हैं कि बिजली गुल रहने पर भी इसका उपयोग किया जा सकेगा, तो वहीं ग्रीन एनर्जी की दिशा में प्रयोग है।