जीसीएफ से मिलीं पांच शारंग, अब सेना के बेड़े में आठ तोप
सेना के पास अभी 300 से अधिक 130 एमएम तोप हैं जिन्हें 155 एमएम 45 कैलीबर शारंग के रूप में अपग्रेड किया गया है। इससे तोप की मारक क्षमता से लेकर गोला दागने की सीमा में भी भारी इजाफा हुआ है। अब यह 38 से 40 किमी की दूरी तक निशान साध सकती हे। वीएफजे ने गुरुवार को तीन तोप सेना को सौंपी हैं। इसके लिए एक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया जिसमें सेना और फैक्ट्री के आला अधिकारी मौजूद रहे।
वीएफजे के पास ज्यादा लक्ष्य
वर्तमान में जितनी 130 एमएम होवित्जर तोप सेना के पास हैं उन्हें अपग्रेड करने का काम गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) एवं वीकल फैक्ट्री जबलपुर को करना है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि तकरीबन 182 तोप को अपग्रेड वीएफजे में ही किया जाएगा। बाकी जीसीएफ में होंगी। हालांकि मूल प्रोजेक्ट को जीसीएफ ही देखेगा, लेकिन उसके पास पहले से धनुष तोप बनाने का बड़ा टारगेट होने की वजह से काफी काम वीएफजे में शिफ्ट किया गया है।
शहर में उत्पादन, टेस्टिंग और हैंडलिंग
सेना को शारंग तोप बहुत कम समय में सौंपना इसलिए आसान है कि जो प्रक्रिया इसमें अपनाई जाती हैं, उसके लिए किसी दूसरी जगह जाने की आवश्यकता नहीं है। जीसीएफ और वीएफजे में इन्हें तैयार किया जाएगा। इनकी टेस्टिंग के लिए लॉन्ग पू्रफ रेंज (एलपीआर) खमरिया पहले ही रिजर्व जगह बन चुकी हैं। यहां पर लगभग हर दूसरे तीसरे दिन दोनों आयुध निर्माणियों से टेस्टिंग के लिए शारंग तोप जाती हैं। तीसरी महत्वपूर्ण प्रक्रिया है इसकी सुपुर्दगी तो जबलपुर में सेना का डिपो भी है। डिपो में इन्हें सेना के हवाले किया जाता है। यहां से उसकी तैनाती सीमाओं पर होती है।
सेना को पांच शारंग तोप सौंपी जा चुकी हैं। लगातार इन्हें भेजा जा रहा है। इन तोप का उत्पादन और तेज किया जा रहा है ताकि हर माह ज्यादा से ज्यादा तोप सेना को सौंपी जा सकें।
संजय श्रीवास्तव, जनसंपर्क अधिकारी, जीसीएफ