इंटरनेशनल लेफ्ट हैंडर-डे के मौके पर आइए जानते हैं लेफ्ट हैंडर्स से जुड़ी जरूरी बातें। लेफ्ट हैंडर होना साधारण बात है और देश-विदेश में ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं, जो लेफ्टी होने के बाद भी नामचीन बने। एक्सपर्ट कहते हैं कि जो लोग लेफ्ट हैंडर्स हैं, उन्हें कभी भी राइट हैंड से काम करने के लिए प्रेरित नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसके बुरे परिणाम सामने आ सकते हैं। मनोवैज्ञानिक डॉ. रजनीश जैन ने बताया कि जो व्यक्ति लेफ्ट हैंड से काम करते हैं, उनका ब्रेन राइट साइड में होता है। जो लोग राइट हैंडर्स होते हैं, उनका ब्रेन लेफ्ट साइड में होता है। यदि बचपन में लेफ्ट हैंडर बच्चे को आप सीधे हाथ से काम करने को कहेंगे तो हो सकता है कि वह हकलाने लगे। उसका आत्मविश्वास कमजोर पडऩे लगे। यदि कोई लेफ्ट हैंड से लिख रहा है या काम कर रहा है तो यह बायोलॉजिकल है। यह जन्म से ही उसके साथ है। उसका राइट साइड का ब्रेन काम करता है और यदि उसे सीधे हाथ से काम करने को कहेंगे तो इसका असर उसके ब्रेन पर पड़ता है। उनके साथ जबरदस्ती नहीं करना चाहिए।
रायफल चलाने में अनकंफर्टेबल
महिला थाने में कार्यरत निकिता सिंह बताती हैं कि एनसीसी और पुलिस की ट्रेनिंग के दौरान उन्हें रायफल चलाना भी सिखाया गया था। ऐसे में रायफल सीधे कंधे के बल पकड़ी जाती है और फिर फायर करते हैं, लेकिन जब उन्हें ट्रेनिंग दी जाती थी तो उन्हें रायफल पकडऩे और ट्रिगर दबाने में परेशानी होती थी। उन्होंने इन परेशानियों को झेलते हुए अपनी ट्रेनिंग पूरी की।
आई मेकअप करने में होती है दिक्कत
ब्यूटीशियन प्रीति यादव ने बताया कि लेफ्टी होने के कारण वैसे तो उन्हें किसी काम में परेशानी नहीं जाती, लेकिन जब वह किसी का आइ मेकअप करती हैं, तब उन्हें दिक्कत होती है। एक आंख पर तो वे नार्मल मेकअप कर लेती हैं, लेकिन जब दूसरी आंख का मेकअप करना होता है तो उन्हें थोड़ा मूव होकर काम करना पड़ता है।
पहले पेंटिंग करने में होती थी परेशानी
पेंटिंग आर्टिस्ट सोमेश सोनी ने बताया कि अब तो उल्टे हाथ से फटाफट पेंटिंग तैयार कर लेते हैं, लेकिन शुरुआती दौर में उन्हें दिक्कत होती थी। खास तौर पर जब वह पेंसिल से कैनवास पर शेड बनाते थे तो परेशानी होती थी, लेकिन उन्होंने एंगल बदल कर काम करना शुरू किया। अब उन्हें दिक्कत नहीं होती है।