हाईकोर्ट ने कहा, राज्य के सातों नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों में नियुक्तियों में अनियमितता का आरोप
जबलपुर•Jul 11, 2019 / 10:33 pm•
prashant gadgil
इलाहाबाद हाईकोर्ट
जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट व जिला अदालत ने कर्मचारियों की नियुक्ति और सेवा से जुड़े दो मामलों पर सुनवाई की। पहले मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सात नए शासकीय मेडिकल कॉलेजों में हुई नियुक्ति प्रक्रिया का रिकॉर्ड प्रस्तुत करने को कहा। जस्टिस विशाल धगट की सिंगल बेंच ने सरकार को इसके लिए दो सप्ताह का समय दिया। मामला नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितता के आरोप से जुड़ा है।
छिंदवाड़ा निवासी अमृता वामने सहित अन्य ने याचिका में कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश में सात नए मेडिकल कॉलेजों खोले। इन कॉलेजों में डॉक्टर्स व प्रोफेसर्स आदि की नियुक्ति प्रक्रिया जारी है। याचिकाकर्ताओं ने भी इन नियुक्तियों के लिए आवेदन दिया। चयनित आवेदकों की पहली सूची में उनके नाम थे। लेकिन आश्चर्यजनक तरीके से इस सूची को निरस्त कर दिया गया। इसके बाद जो दूसरी सूची जारी की गई, उसमें याचिकाकर्ताओं के नाम नहीं थे। अधिवक्ता मनोज चतुर्वेदी ने तर्क दिया कि चयन सूची निरस्त करने की वजह नहीं बताई गई। यह अवैधानिक है। प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए सवाल किया कि आखिर किस अधिकार से एक बार जारी सूची को निरस्त कर दिया गया? कोर्ट ने राज्य सरकार को दो सप्ताह के भीतर नियुक्ति संबंधी सभी रिकॉर्ड व मैरिट के निर्धारण संबंधी नियम पेश करने का निर्देश दिया।
दूसरे की जगह पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा देने वाले को 10 साल की सजा
उधर एक अन्य मामले में जिला अदालत ने दूसरे की जगह पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा देने के आरोपी को दोषी करार देकर 10 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश दीपक कुमार पांडे की कोर्ट ने आरोपी पर 6500 रुपए जुर्माना भी लगाया।
अतिरिक्त लोक अभियोजक कुक्कू दत्त के अनुसार 24 सितंबर 2016 को छठवीं बटालियन रांझी स्थित मैदान में व्यापमं द्वारा आयोजित पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा का शारीरिक दक्षता टेस्ट था। इसमें शामिल होने पहुंचे फतेहाबाद आगरा निवासी राजबहादुर सिंह के दस्तावेजों की जांच के दौरान फोटो का मिलान नहीं हुआ। इसके बाद ऑनलाइन परीक्षा के दौरान लिए गए फिंगर प्रिंट से मिलान करने पर फिंगर प्रिंट भी मैच नहीं हुए। पुलिस की पूछताछ में पता लगा कि 29 जुलाई 2017 को इंदौर में आयोजित ऑनलाइन परीक्षा में उसकी जगह कोई और शामिल हुआ था। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 419, 420, 467, 468, 471 व मप्र मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम की धारा 3(घ) (2) के तहत प्रकरण दर्ज कर चालान पेश किया। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने आरोपी फर्जीवाड़े का दोषी पाया।
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