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जबलपुर

आरक्षक भर्ती प्रक्रिया में रोजगार जीवित नहीं होने के बाद भी शामिल करो

हाईकोर्ट ने दिए निर्देश
 

जबलपुरJun 26, 2022 / 08:20 pm

shyam bihari

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जबलपुर। हाईकोर्ट ने आरक्षक भर्ती प्रक्रिया में उन उम्मीदवारों को राहत दी है, जिनका रोजगार पंजीयन जीवित नहीं है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने आरक्षक भर्ती के तहत रोजगार पंजीयन जीवित नहीं होने पर भी आवेदकों को शारीरिक दक्षता परीक्षा में शामिल करने के निर्देश सरकार और व्यावसायिक परीक्षा मंडल को दिए। मामले में अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।

जबलपुर के गगन राज, संतोष कुमार, वर्षा शर्मा समेत कई अन्य जिले के उम्मीदवारों ने याचिका दायर कर बताया कि उनका रोजगार पंजीयन 2020 में समाप्त हो गया था। कोरोना काल में रोजगार कार्यालय की वेबसाइट बंद थी। कार्यालय भी नहीं खुल रहे थे। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अमृत रूपराह ने तर्क दिया कि पुराने पंजीयन के आधार पर आवेदकों ने फॉर्म भरा। आवेदन स्वीकार हुआ और आवेदकों ने लिखित परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली। अब केवल पंजीयन समाप्ति का आधार बताकर उन्हें शारीरिक दक्षता परीक्षा में शामिल होने से वंचित किया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने ये निर्देश दिए।

एमबीबीएस की उत्तर पुस्तिकाओं की दोबारा मूल्यांकन की मांग वाली याचिका खारिज

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में धांधली सम्बन्धी आरोप वाली याचिका को खारिज कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष इस मामले की सुनवाई हुई।

एमबीबीएस स्टूडेंट्स सुधाकर केवट व राघवेंद्र सिंह सहित अन्य की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि मेडिकल साइंस यूनिवसिर्टी में उत्तर पुस्तिकाओं की जांच में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है। याचिकाकर्ताओं ने नए सिरे से मूल्यांकन की मांग की थी। मेडिकल यूनिवर्सिटी की ओर से कोर्ट में कहा गया कि उत्तर-पुस्तिकाओं की आनलाइन जांच होती है। इस प्रक्रिया में किसी तरह के भौतिक दखल की कोई गुंजाइश नहीं होती है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायदृष्टांतों के मुताबिक यह याचिका निरस्त किए जाने योग्य है, ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें एक बार हो चुके परीक्षण पर संदेह जाहिर करते हुए नए सिरे से परीक्षण पर बल दिया गया है। मेडिकल साइंस यूनिवसिर्टी में दोबारा अंक गणना या पुनर्मूल्यांकन का प्रविधान नहीं है।

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