जनाब, मेरा नाम राशिद है, अयोध्या की हनुमानगढ़ी परिसर में खेलता था, हिंदू-मुस्लिम तो हमें पता नहीं
‘जनाब, हमारा बचपन अयोध्या में बीता। हमारे दादा जी नियमित रूप से हनुमानगढ़ी जाते थे। मुझे भी साथ ले जाते थे। वहां के महंत बिना धर्म का विचार किए मुझे खेलने के लिए बहुत सारे वो छोटे-छोटे बर्तन दे देते थे, जो हनुमानजी को पूजा में चढ़ाए जाते हैं। हमारे पूर्वजों ने कई मंदिरों को जरूरत पर जमीन भी दी। आज भी अयोध्या में मुझे वही स्नेह मिलता है। ये हिंदू-मुस्लिम की खाई आखिर है क्या, यह आज तक समझ नहीं सका। जबलपुर विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष व संप्रति मप्र हज कमेटी के सदस्य अधिवक्ता राशिद सुहैल सिद्दीकी ने साम्प्रदायिक सौहाद्र्र की इस अनूठी दास्तान को पत्रिका से साझा करते हुए यह कहा। वे कहते हैं कि उनके पूर्वज अयोध्या के जमीदार थे। उनके दादा स्व. एजाज हुसैन को विरासत में जमीदारी मिली। कई मंदिरों ने जरूरत जाहिर की, तो उनके पूर्वजों ने जमीन भी दी गई। सिद्दीकी का दावा है कि इन मंदिरों में लगे शिलालेखों में इसका उल्लेख भी है। राशिद बताते हैं कि अब उनके चाचा उस्मान शाहिद किदवई व इस्टेट मैनेजर दुर्गा यादव अयोध्या में उनकी जायजाद की देखभाल करते हैं। लेकिन, बुजुर्गों की सीख के चलते बचपन से अब तक उन्होंने अपने स्टेट मैनेजर यादव को चाचा के अलावा दूसरे सम्बोधन से नहीं बुलाया। सिद्दीकी परिवार की अयोध्या में कई जगह सम्पत्तियां हैं।
आना-जाना था
सिद्दीकी ने बताया कि उनके दादा स्व. एजाज हुसैन का अयोध्या के कई महंतों से पारिवारिक सम्बंध था। अक्सर उनके घर में साधु-संतों, महंतों, पुजारियों का आना जाना लगा रहता था। उनके दादाजी भी महंतों से मिलने-जुलने अयोध्या के मंदिरों में जाया करते थे। बचपन में वे भी दादा के साथ चले जाते थे। हनुमानगढ़ी मंदिर के विशाल प्रांगण में खेलने में उन्हें बहुत आनंद आता था। वे महंतों के वस्त्र पकड़कर उनसे खेलने के लिए हनुमान जी को चढ़ाए गए पूजा के पात्रों की बालसुलभ मांग कर बैठते थे। उन्हें अयोध्या के मंदिरों में बिताए बचपन के दौरान कभी यह महसूस नहीं हुआ कि वहां उनसे किसी ने भेदभाव किया हो।
सुरक्षा का सख्त पहरा था
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद संस्कारधानी वासियों ने संप्रदायिक सद्भाव का परिचय देते हुए गंगा-जमुनी तहजीव को कायम रखा। शहर सौहाद्र्र की एक अनुपम मिशाल पेश कर रहा है। फैसले के मद्देनजर पुलिस- प्रशासन सुबह से ही अलर्ट मोड पर रहा। शहर के चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात था। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर सुबह से लोगों में उत्सुकता थी। सुबह 10.30 बजे से 11.30 बजे के बीच जब फैसला आया। उस दौरान शहर की सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। उधर पुलिस प्रशसन शहर में कानून व्यवस्था कायम रखने लगातार मुस्तैद थी।