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जबलपुर

तीन मोबाइल में तीन हजार सिम कार्ड, आयुष्मान योजना से हुआ ये ‘संभव’, फिर पेटीएम से लोगों को…

इस गिरोह से राष्ट्रीय सुरक्षा को भी हो सकता है खतरा

जबलपुरDec 09, 2019 / 08:18 pm

Muneshwar Kumar

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जबलपुर/ एक मोबाइल का एक ही आईएमईआई नंबर होता है। तीन आईएमईआई नंबर में अगर तीन हजार सिम कार्ड का यूज हुआ तो इसका मतलब तो यहीं है न कि तीन मोबाइल फोन होंगे। जिनमें तीन हजार सिम का प्रयोग हुआ है। मगर थोड़ी देर के लिए आप यह भी सोच सकते हैं कि यह कैसे हो सकता है। लेकिन ये हुआ है, सब कुछ आयुष्मान योजना के नाम पर हुआ है। अब ऐसे में आपके मन में यह भी सवाल उठेगा कि यह तो इलाज करवाने के लिए योजना है तो फिर सिम कार्ड से इसका क्या कनेक्शन है।
इन तमाम सवालों के जवाब में हम आपको अपनी स्टोरी में देंगे। कैसे आयुष्मान योजना के नाम पर देश में इतना बड़ा खेल हो गया है और किसी को भनक तक नहीं लगी। इस खेल में शामिल लोगों ने हजारों लोगों को दूर बैठकर लूट लिया है। इस बात का खुलासा मध्यप्रदेश साइबर सेल के जबलपुर जोन ने किया है। जांच के बाद साइबर सेल की टीम ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। जिसमें कुछ टेलिकॉम कंपनियों के लोग भी शामिल हैं।

शिकायत के बाद कार्रवाई
पिछले दिनों कुछ लोगों ने जबलपुर साइबर सेल में यह शिकायत की थी कि उनकी आईडी हैक हुई। साथ ही कुछ पैसे भी लिए गए हैं। इसके आधार पर जबलपुर जोन जांच कर रही थी। ऑनलाइन ठगी के मामले में जिन नंबरों का प्रयोग हुआ था, पुलिस उन तक पहुंची तो उन्हें अपने इस नंबर की जानकारी ही नहीं थी। ऐसे में पुलिस के लिए चुनौती का विषय यह था कि आखिर साइबर ठगों के पास यह फर्जी सिम कार्ड पहुंचता कौन है। क्योंकि यह ब्लक में होता है। यानी एक ही व्यक्ति के नाम पर पचास सीएम इश्यू हैं।
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फर्जी कागजात तैयार किए
साइबर सेल के एसपी ने अंकित शुक्ला ने बताया कि जांच के दौरान यह बात सामने आई कि कुछ लोग फर्जी कागजात तैयार कर सिम कार्ड इश्यू करवाते हैं। इसमें कंपनी के भी कुछ नीचे लेवल के लोग शामिल हैं। मध्यप्रदेश के लोगों के नाम पर इश्यू सिम कार्ड का प्रयोग रांची में हो रहा था। वहां से बैठकर साइबर ठग लोग से ठगी करते थे। पुलिस ने इस फर्जीवाड़े में शामिल निशांत पटेल, अशफाक अहमद, अमित सोनी, रितेश कनौजिया और इंदौर के रोहित बजाज को गिरफ्तार किया है।
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तीन आईएमईआई नंबर पर तीन हजार सिम कार्ड
पुलिस ने कहा कि हमलोगों ने जांच में यह पाया कि तीन ही आईएमईआई नंबर पर तीन हजार के करीब सिम कार्ड का यूज हो रहा है। इन फोन्स में हर थोड़ी देर के बाद सिम कार्ड को बदल दिया जाता था। नंबर बदल-बदलकर साइबर ठग लोगों को फोन करते। जांच में यह बात सामने आई कि टेलिकॉम कंपनी के लोग ही सिम एक्टिवेट कर साइबर ठगों को देते थे।
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आयुष्मान के नाम पर लेते थे कागजात
साइबर सेल के एसपी ने अंकित शुक्ला ने कहा कि ये लोग कुछ एजेंट ग्रामीण इलाकों में तैयार कर रखे थे। ये लोग सिहोरा, बुड़ागर, पाटन, मंझोली जैसे गांवों जाते थे। वहां ग्रामीणों से कहते थे आयुष्मान योजना के तहत हम आपको लाभ देने वाले हैं। वे लोग हितग्राही बनने के लिए अपने डॉक्यूमेंट्स दे देते थे। डॉक्यूमेंट्स मिलने के बाद ये लोग उस पर सिम निकाल लेते थे।
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पेटीएम करते थे एक्टिवेट
साइबर सेल के अधिकारियों ने कहा कि अब इनके पास लोगों के सभी कागजात और उनके नाम से मोबाइल नंबर हो जाता था। उसी के आधार पर पेटीएम अकाउंट एक्टिवेट कर लेते थे। क्योंकि पेटीएम और यूपीआई जैसे वॉलेट से पैसा ट्रांसफर करना सबसे आसान होता है। अब इनके पास सब कुछ हो जाता था। इनका एक एजेंट रांची में रहता था। जो ब्लक में सिम कार्ड लेकर सप्लाई करता था। साथ ही ये फेसबुक ग्रुप के जरिए ही आपस में चर्चा करते थे।
 Son not to buy SIM card
IMAGE CREDIT: patrika
कई राज्यों में सप्लाई
ये लोग फर्जी सिम कार्ड का सप्लाई कई राज्यों करते थे। ये लोग बहुत पढ़े लिखे लोग नहीं हैं। पुलिस ने इनसे जुड़े और लोगों की तलाश कर रही है। कहा जा रहा है कि इस तरीके से इनलोगों ने करीब दस हजार सिम कार्ड को एक्टिवेट किया है। पुलिस ने यह भी कहा कि ऐसी चीजों से राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा है। पुलिस अब यह भी जांच सकती है कि आयुष्मान योजना के नाम पर लिए गए कागजातों का प्रयोग और कहां हुआ है।
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