शासन के द्वारा प्रारंभ की गई धारणाधिकार योजना के तहत नगरीय क्षेत्र में स्थित शासकीय भूमि पर 31 दिसंबर 2014 या उसके पूर्व निर्विवाद रूप से अधिपत्य में रहे और वर्तमान में अधिपत्य में रह रहे पात्र व्यक्तियों को 30 वर्षीय स्थाई पट्टे प्रदान किए जाएंगे। इस आधार पर शासन को राजस्व मिलेगा। वहीं तो दूसरी तरफ पट्टे मिलने से धारकों को कई तरह के लाभ होंगे। मालिकाना अधिकार पत्र मिलने से उनके लिए आवास बनाना आसान होगा। बैंक से आवास निर्माण के लिए ऋण मिलने में भी कठिनाइयां नहीं होंगी।
ऑनलाइन करना पड़ेगा आवेदन
पट्टा प्राप्त करने के लिए आवेदक को ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है। पूरी कार्यवाही के लिए कलेक्टर सक्षम प्राधिकारी होंगे। वे ही पट्टा जारी करेंगे। सक्षम अधिकारी प्रकरण के अनुसार दावे और आपत्तियां आमंत्रित करने की उदघोषणा का प्रकाशन अलग-अलग कार्यालयों में कराएगा। इनका निराकरण करने के उपरांत आगामी कार्यवाही हो सकेगी। जहां विवाद है, उसकी जांच भी प्रशासन के द्वारा गठित की गई समिति के द्वारा किया जाएगा।
इन जगहों का नहीं मिलेगा पट्टा
नदी या नाला या जल संग्रहण क्षेत्र के रूप में अभिलिखित हो, संहिता की धारा 233-क के अधीन आरक्षित, किसी धार्मिक संस्था या माफी औफाक से संबंधित भूमि, नगरीय क्षेत्रों में पार्क, खेल के मैदान, सडक़, गली या अन्य किसी सामुदायिक उपयोग की, राजस्व वन भूमि यानि छोटे-बड़े झाड़ का जंगल, न्यायालय में विचाराधीन भूमि, नगरीय निकाय में किसी विकास योजना से संबंधित, शासकीय परियोजना या फिर सार्वजनिक प्रयोजन के लिए आरक्षित भूखंड आदि।
धारणाधिकार योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन संबंधित व्यक्तियों से लिए जा रहे हैं। इसी प्रकार तहसीलदारों को भी लक्ष्य दिया है। वे प्रकरण बनाकर इन पर कार्यवाही करें। इस योजना के तहत 30 वर्षीय स्थाई पट्टा दिया जाना है।
राजेश बाथम, अपर कलेक्टर