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जबलपुर

भोपाल की तर्ज पर जबलपुर में बनेगा ‘झील संवर्धन प्रकोष्ठ’

अभी नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के आधीन है तालाब, नहीं होती नियमित निगरानी व सफाई
 

जबलपुरApr 18, 2022 / 12:32 pm

Lalit kostha

bada talab

jabalpur saving her ponds with bhopal ponds model

मनीष गर्ग@जबलपुर। तालाबों के संरक्षण व नए तालाब बनाने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा बड़े स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है जबलपुर के शहरी क्षेत्र व ग्रामीण अंचलों में भी तालाबों के संरक्षण के साथ नए तालाब भी खोदे जा रहे है। कार्य शुरू हो गया है परंतु अधिकांश मामलों में यह तथ्य सामने आ रहा है कि सौंदर्यीकरण के बाद तालाबों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है।


शहर में बीते कुछ वर्षो के दौरान तालाबों के सौंदर्यीकरण के बाद यह हालात सामने आए हैं। कार्रवाई के बाद उन्हें दोबारा हटाया गया। ऐसी स्थिति निर्मित नहीं हो, पर्यटन की ²ष्टि से तालाब विकसित हों इस दिशा में तालाबों के संरक्षण में नगर निगम के स्तर पर एक अलग प्रकोष्ठ या विभाग का गठन होना चाहिए। भोपाल में नगर निगम स्तर पर ही तालाबों के रखरखाव के लिए झील संवर्धन प्रकोष्ठ काम कर रहा है। उसी तर्ज पर शहर में भी यह काम हो सकता है। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि तालाबों का विकास सरकार की प्राथमिकता है तो तालाब विकास प्राधिकरण या नगर निगम के अंतगर्त एक अलग विभाग हो। सफाई के लिए मशीनें व प्रशिक्षित अमला होना चाहिए। जो नियमित सफाई करे। रखरखाव व्यवस्थित हो।

 

हनुमानताल, इमरती ताल पहले भी संवरे, फिर हुए कब्जे
नगर निगम द्वारा कुछ वर्षो पूर्व हनुमानताल तालाब को खाली कराकर यहां पर सफाई की गई थी। इसके बाद यहां के अतिकमण हटाए गए थे। निगरानी नहीं हुई। फिर अतिक्रण हो गए। यहां के कब्जे अभी हाल ही में हटाए गए। यही स्थिति इमरती तालाब की रही। 2015 में यहां का सौंदर्यीकरण हुआ। तालाब गहरीकरण हुआ पाथ वे बने। घाट का निर्माण हुआ। यहां पाथ वे पर कब्जे हो गए। प्रशासन द्वारा हाल ही में तालाब के पाथ वे व कैचमेंट एरिया के कब्जे हटाए गए। सूपाताल का सौंदर्यीकरण लगभग दो करोड़ की लागत से हुआ था। यहां कैफैटेरिया का निर्माण किया गया। यहां रखरखाव नहीं हो रहा। तालाब में स्लिट जमा हो रही है। गंदा पानी जाना बंद नहीं हुआ।

गुलौआ बेहतर पर नियमित निगरानी आवश्यक
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट तक तहत विकसित गुलौआताल एक मॉडल है परंतु यहां भी निगरानी आवश्यक है। यहां प्रवेश शुल्क भी निर्धारित किया गया है। यहां भी पाथ वे पर झाडिय़ां उंगने लगी है। इसी तरह संग्राम सागर का भी स्वरूप निरंतर निखर रहा है। यह स्वरूप बरकरार रहे। इसके लिए कार्य करना आवश्यक है।

 

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अलग विभाग बनना जरूरी
पर्यावरणविद् सेवानिवृत्त प्रोफेसर एचबी पालन के अनुसार जबलपुर तालाबों का शहर है। तालाबों का करोड़ों रुपए से सौंदर्यीकरण हो रहा है यह अच्छी पहल है परंतु तालाब संरक्षित रहें इसके लिए जिम्मेदारी तय करनी होगी। इन तालाबों के लिए अलग से विभाग या प्रकोष्ठ बने। अतिक्रमण नहीं हो, तालाब में गंदगी न मिले इसके लिए एक निगरानी टीम होनी चाहिए। शहर के सभी तालाब ऐतिहासिक महत्व के हैं। उनका डूब क्षेत्र, कैचमेंट एरिया तय किया जाए। मदनमहल की पहाड़ी से लेकर गढ़ा व अन्य क्षेत्रों तक तालाबों की एक ङ्क्षलक है। इनहें सरंक्षित कर लिया जाए तो एक दिन का टूर पैकेज भी बन सकता है।

नगर निगम द्वारा हनुमानताल में अभी 50 लाख व इमरती ताल में लगभग 20 लाख की लागत से विकास कार्य किए जाएंगे । अन्य तालाबों को भी व्यवस्थित किया जाएगा। अभी तालाबों की निगरानी अलग-अलग स्तर पर की जा रही है। तालाबों की निगरानी के लिए एक अलग प्रकोष्ठ या विभाग बनाने पर विचार किया जाएगा।
आशीष वशिष्ठ, आयुक्त नगर निगम


अलग व्यवस्था होने से यह होगा फायदा
– तालाबों की नियमित साफ-सफाई, रखरखाव होगा
– नियमित निगरानी से अतिक्रमण का खतरा नहीं होगा
– प्रत्येक तालाब का क्षेत्रफल नोटिफाइड हो, डिजीटल मैप हो
– अतिक्रमण रोकने, अव्यवस्था पर अफसरों की जिमेदारी तय होगी
– तालाब के जलधारण क्षमता वृद्धि एवं कैचमेंट एरिया संवर्धन होगा

अभी यह हो रहा नुकसान
– सौंदर्यीकरण जैसे अभियान के बाद नियमित निगरानी नहीं होती
– हालात पहले जैसे हो जाते हैं, झाडिय़ा जम जाती है कचरा फेंका जाता है
– पाथ वे व घाट में टूटफूट होने पर तत्काल सुधार नहीं होता
– अतिक्रमण होने पर किसी अधिकारी की जिम्मेदारी तय नहीं

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