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जबलपुर

Jagannath Rath Yatra Live : जगन्नाथ स्वामी के भात को बढ़े हजारों हाथ, दिव्य दर्शन को बरसी आस्था

Rath Yatra : जगन्नाथ स्वामी के भात को बढ़े हजारों हाथ, दिव्य दर्शन को बरसी आस्था

जबलपुरJul 05, 2019 / 01:04 am

abhishek dixit

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जबलपुर. भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा के दिव्य दर्शन के लिए गुरुवार शाम 4 बजे बड़ा फुहारा एवं आसपास की सड़कों पर संस्कारधानी उमड़ी। बादलों से ढंके आसमान से अमृत की चंद बूंदें गिरने की खुशी और भक्ति के उत्साह में आस्था बरस पड़ी। जगन्नाथ के भात को जगत पसारे हाथ … के अटूट श्रद्धा भाव के साथ हजारों लोगों ने रथों के चारों ओर हाथ पसारकर प्रसाद प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त किया।

गुरु पुष्य के विशेष संयोग में स्वामी डॉ. श्यामेदवार्य, दंडीस्वामी कालिकानंद, स्वामी पगलानंद, स्वामी नरसिंह दास, स्वामी मुकुंद दास, स्वामी रामराजाचार्य, इस्कान मंदिर के स्वामी अदितिपुत्र दास ने प्रतीकात्मक सोने की झाड़ू से रथ यात्रा का मार्ग बुहारा और आरती की तो भगवान के जयघोष से बड़ा फुहारा क्षेत्र गूंज उठा। फूलों से सुसज्जित रथों को खींचने, माथा टेकने और हाथ लगाकर आगे बढ़ाने को हर कोई उत्सुक था। महिला-पुरुष, बच्चे मीठे भात के प्रसाद के लिए हाथ ऊपर उठाए हुए रथों के साथ चले तो रथ पर बैंठे पुजारियों के हाथ से भगवान जगदीश मंदिर की पूजित छड़ी से माथे पर आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हजारों लोग खड़े थे।

सांस्कृतिक परम्परा और अद्भुत भक्ति
सनातन धर्म महासभा के तत्वावधान में बड़े फुहारा में मंदिरों एवं संस्थाओं के रथों का संगम हुआ। दोपहर 3 से शाम 5 बजे तक बड़े फुहारा, कमानिया गेट, कोतवाली गेट तक लोग ही लोग दिखे। बैलगाड़ी, घुड़सवार, बैंड दल, दुल दुल घोड़ी में सांस्कृतिक झलक दिखी। वहीं पालकी में विराजमान भगवान के रथों के नीचे से गुजरकर लोगों ने भक्ति की। मातृशक्ति घरों से प्रसाद और आरती की थाल लेकर पहुंची, भगवान का दर्शन और आरती की। भात प्रसाद प्राप्त करने के साथ श्रद्धालुओं ने रथों में अपने प्रसाद भी अर्पित किए।

नयनाभिराम झांकियों ने मनमोहा
रथयात्रा में सजीव झांकियां नयनाभिराम थीं। भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ और बहन सुभद्रा, भगवान गणेश की झांकियां आकर्षक का प्रमुख केंद्र थीं। भक्तिमय मुधर गीतों पर राधे-कृष्ण की रास नृत्य करती हुई और माता पार्वती के साथ तांडव नृत्य करते हुए भगवान की शिव की झांकियों पर सबकी निगाहें टिकीं थीं। शेर के वेश भूषा में शेर नृत्य करने वाले कलाकारों के साथ बच्चों और युवाओं ने भक्ति और संस्कृति के संगम को जीवंत कर दिया।

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