आयुर्वेदाचार्य डॉ. शरदचंद्र शुक्ल के अनुसार भूमि आंवला एक औषधीय पौधा है, जो बरसात में बहुतायत में पाया जाता है। वहीं नमी वाली जगहों पर पूरे साल उपलब्ध रहता है। इसके साथ ही आयुर्वेदिक दवा दुकानों में इसका चूर्ण आसानी से मिल जाता है।
इस मेडिशनल प्लांट के पौधे छोटे होते हैं और इसमें आंवले की बनावट के छोटे-छोट फल लगते हैं, इसीलिए इसे बोलचाल की भाषा में भूमि आंवला कहते हैं। इसे उखाड़ कर जड़ संहित पीसकर या फिर छाया में सुखा कर दोनों तरह से उपयोग किया जाता है। यह आयुर्वेद औषधि की दुकान पर भी मिल जाता है।
ऐसे करें प्रयोग
आयुर्वेदाचार्य डॉ. शरदचंद्र के अनुसार इसे कई प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है।
– भूमि आंवला को सुखाकर तैयार किए पाउडर को पानी के आधा से एक चम्मम दिन में दो बार लिया जा सकता है।
– पौधे को उखाड़ कर तना, जड़, पत्ती व फल सहित पीस कर निकाले गए रस का 25 से 35 मिली दिन में दो से तीन बार लिया जा सकता है।
– भूमि आंवला के पौधे को साफ करके चबाया जा सकता है, लेकिन यह थोड़ा कड़वा लगता है
इसके लाभ
– यकृत में सूजन आ गई है तो भूमि आंवला का प्रयोग बहुत लाभकारी होता है।
– पीलिया हो जाने पर पेड़ को जड़, तना, पत्तियों सहित पीसकर पानी या मठे के साथ पीने से पीलिया बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।
– गुर्दों में संक्रमण होने पर भी इसका उपयोग लाभकारी होता है। यह किडनी के सिस्टम को ठीक करता है।
– जुकाम हो जाने पर इसका काढ़ा पीने से आराम मिलता है
– मुहं में छाले हो जाने पर इसकी पत्तियों का चबाने से छाले ठीक हो जाते हैं।
– मधुमेह रोगी यदि इसका सेवन करते हैं तो शुगर कंट्रोल हो जाती है।