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जबलपुर

सड़क हादसों ने लील ली 948 जिंदगी

चालकों की जरा सी लापरवाही ने कइयों की जिंदगी लील ली और परिजनों को जीवनभर का दर्द दे दिया। तेज गति, लापरवाही और शराब के नशे में वाहन चलाने के कारण तीन साल के दौरान सैंकड़ों लोग मौत का ग्रास बन चुके हैं।

जबलपुरFeb 14, 2016 / 03:17 am

afjal

चालकों की जरा सी लापरवाही ने कइयों की जिंदगी लील ली और परिजनों को जीवनभर का दर्द दे दिया। तेज गति, लापरवाही और शराब के नशे में वाहन चलाने के कारण तीन साल के दौरान सैंकड़ों लोग मौत का ग्रास बन चुके हैं।

 चालकों की जरा सी लापरवाही से अंदाजा लगाया जा सकता है कि साल 2013 से 2015 तक एक हजार 943 सड़क दुर्घटनाओं में 948 जान गंवा चुके हैं। 2050 घायल लोग आज भी उन हादसे को याद कर सहम जाते हैं। 

ज्यादातर हादसे लापरवाही, शराब के नशे, तेज गति से वाहन चलाने के कारण हुए हैं। झुंझुनूं में सबसे ज्यादा सड़क हादसे दुपहिया वाहनों से हुए हैं। आंकड़ों पर गौर किया जाए तो 94 प्रतिशत हादसे चालकों की गलती से हुए हैं। ऐसे में सर्वाधिक जरूरत है, सड़क पर सावधानी से वाहन चलाने की। आमजन को सुरक्षित ड्राइविंग के लिए जागरूक होने की जरूरत है। यातायात नियमों की जानकारी होना जरूरी है। 

चिन्हित 64 हैं दुर्घटना स्थल
पूरे जिले में पुलिस के अनुसार 64 दुर्घटना स्थल हैं। शहर में चार स्थानों को दुर्घटना संभावित स्थल माना गया है। इनमें हवाई पट्टी से आगे एफसीआईगोदाम, सगीरा सर्किल, हवाईपट्टी चौराहा, बगड़ तिराहा, मंड्रेला रोड, बीड़ चैक पोस्ट, पुरा की ढाणी, उदावास के पास, दोरारास पेट्रोल पंप, नृसिंहपुरा के अलावा घोड़ीवारा गांव में बालाजी के नजदीक, बगड़ के काटली नदी क्षेत्र समेत 64 दुर्घटना स्थल चिह्नित है।

बार-बार दुर्घटनाओं के ये भी कारण
बार-बार दुर्घटनाएं घटित होने के पीछे सड़क पर धीमी गति के ब्रेकर नहीं होने, मोड पर ब्रेकर नहीं होने, सड़क के दोनों तरफ आबादी होने, अचानक पशुओं का आगे आ जाना, सड़कों का खराब होना, चेतावनी बोर्डनहीं लगाना घटना घटित होने का कारण माना गया है। 

 तेज गति व लापरवाही सड़क हादसों का मुख्य कारण है। शराब के नशे में व ओवरलोडिंग वाहन चलाने से भी दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। 
सुरेंद्र गुप्ता, एसपी झुंझुनूं

युवा ज्यादा हादसे का शिकार
वर्ष दुर्घटना मृतक घायल
2013 636 321 685
2014 680 310 719
2015 627 317 646
कुल 1943 948 2050

युवा ज्यादा हादसे का शिकार
पुलिस के आंकड़ों के अनुसार हादसों का शिकार होने वालों में ज्यादातर युवा हैं। मृतक व घायल 18 से 40 वर्ष के बीच के हैं। ऐसे में युवाओं को विशेष तौर पर यातायात के बारे में समझाया जाएगा। ताकि हादसों पर अंकुश लगे।

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