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जबलपुर

मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण बढ़ाने पर कमलनाथ सरकार ने पेश किया जवाब, फिर हाईकोर्ट ने कही ये बात

राज्य सरकार ने पेश किया जवाब- प्रदेश में 51 फीसदी है ओबीसी की जनसंख्या, इसलिए 27 फीसदी किया आरक्षणयाचिकाकर्ता को रिज्वाइंडर प्रस्तुत करने के लिए मिला दो सप्ताह का समय

जबलपुरOct 16, 2019 / 08:01 pm

abhishek dixit

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जबलपुर. प्रदेश में ओबीसी आरक्षण बढ़ाकर 27 फीसदी करने पर राज्य सरकार ने मप्र हाईकोर्ट को दिए जवाब में कहा कि मध्यप्रदेश की जनसंख्या का 51 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग ( ओबीसी) का है। इन्हें शासकीय सेवाओं आदि में समुचित प्रतिनिधित्व मिल सके, इस मंशा से सरकार ने आरक्षण बढ़ाया। एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने जवाब पर अपना रिज्वाइंडर पेश करने के लिए याचिकाकर्ता को दो सप्ताह का समय दे दिया।

यह है मामला
प्रत्यूष द्विवेदी, यूथ फॉर इक्वेलिटी संस्था, नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे की ओर से याचिकाएं दायर कर बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी मामले में दिए गए दिशानिर्देश के तहत किसी भी स्थिति में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। मध्यप्रदेश में पहले सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत 50 प्रतिशत आरक्षण लागू था। इसमें 20 प्रतिशत एसटी, 16 प्रतिशत एससी और 14 प्रतिशत ओबीसी को आरक्षण का प्रावधान था। राज्य सरकार ने 8 मार्च 2019 को एक अध्यादेश जारी कर ओबीसी के लिए आरक्षण बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया। अधिवक्ता आदित्य संघी, दिनेश उपाध्याय ने तर्क दिया कि ओबीसी का आरक्षण प्रतिशत बढ़ाने से प्रदेश की शासकीय नौकरियों में आरक्षण की कुल सीमा बढ़कर 63 प्रतिशत हो गई है, जो कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का उल्लंघन है। वहीं ओबीसी संघ की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 फीसदी आरक्षण का लाभ ओबीसी को नहीं दिया जा रहा।

ईडब्ल्यूएस पर जवाब नहीं
सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता हिमांशु मिश्रा ने बुधवार को याचिका का जवाब पेश कर जनसंख्या के आंकडों के हवाले से कहा गया कि प्रदेश में ओबीसी के उत्थान के लिए सरकार ने आरक्षण बढ़ाने का फैसला लिया। लेकिन सरकार ने ईडब्ल्यूएस मसले पर जवाब नहीं दिया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता को समय देकर अगली सुनवाई 1 नवंबर नियत की।

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