कैसे कर रहे हैं एंग्लो इंडियन विधायक का मनोनयन
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से पूछा कि जब एंग्लो इंडियन विधायक मनोनीत करने के खिलाफ लम्बित याचिका पर कोर्ट के नोटिस का जवाब अब तक पेश नहीं किया गया, तो फिर से ऐसा क्यों किया जा रहा है? एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने अनावेदकों को जवाब के लिए तीन सप्ताह की मोहलत दी।
यह है मामला
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे ने याचिका में कहा कि एंग्लो इंडियन विधायक मनोनीत करने का प्रावधान अनुचित है। देश की आजादी के बाद शुरुआती 10 वर्ष के लिए यह प्रावधान किया गया था। तब से लेकर अब तक इसे बार-बार 10 वर्ष के लिए आगे बढ़ाया जा रहा है। अब जबकि प्रदेश में एंग्लो इंडियन समुदाय नगण्य के बराबर है, इस समुदाय से विधायक मनोनयन अनुचित है। इसलिए अब भारतीय संविधान के अनुच्छेद-331 व 35 में दी गई व्यवस्था की संवैधानिक वैधता सवालों के दायरे में है। अधिवक्ता अजय रायजादा ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने इस मामले में जनवरी 2019 में नोटिस जारी किए थे। तब से लेकर अब तक छह माह गुजर गए, लेकिन अनावेदकों ने जवाब पेश नहीं किया। बल्कि, प्रदेश की अल्पमत वाली नई सरकार को बहुमत प्रदान करने की साजिश के तहत फिर से एंग्लो इंडियन समुदाय से विधायक मनोनयन की तैयारी कर ली गई है। इस पर केंद्र व राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश करने के लिए समय मांगा गया। आग्रह मंजूर कर कोर्ट ने तीन सप्ताह का समय दे दिया।