MP Medical University Scam में अब नया खेल, जानें क्या है नया मामला…
-MP Medical University Scam में अनुपस्थित छात्रों को पास करने और प्रैक्टिकल के नंबर बढ़ाने का मामला-यूनिवर्सिटी ने दोषी परीक्षा नियंत्रक को हटाया फिर बहाल किया
जबलपुर.MP Medical University Scam में फर्जीवाड़े का खेल बदस्तूर जारी है। अब इस फर्जीवाड़े की तुलना व्यापमं घोटाले से की जा रही है। आरोप तो यहां तक लग रहे हैं कि इस पूरे फर्जीवाड़े को शासन स्तर से भी संरक्षण मिल रहा है। जानकारी के मुताबिक अनुपस्थित विद्यार्थियों को उत्तीर्ण करने और प्रैक्टिकल के नंबर बढ़ाने का परीक्षा नियंत्रक पर आरोप लगा था उसे विश्वविद्यालय प्रशासन ने हटाया। फिर बहाल भी कर दिया। कहा तो यहां तक जा रहा है कि परीक्षा नियंत्रक की बहाली एक बड़े ओहदेदार के इशारे पर की गई है।
बता दें कि यूनिवर्सिटी में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़े की खबरें मीडिया में आने के बाद कुलपति ने दोषी परीक्षा नियंत्रक को पद से हटा दिया। ये सूचना भी सोशल मीडिया में वायरल हो गई। लेकिन परीक्षा नियंत्रक को पद से हटाने की खबर वायरल होने के कुछ ही देर में कुलपति ने अपना निर्णय वापस ले लिया। कहा तो जा रहा है कि परीक्षा नियंत्रक की पद पर बहाली के संबध में भोपाल से किसी महिला का फोन आया था। अब कुलपति के निर्णय को लेकर सोशल मीडिया में किरकिरी हो रही है।
ये भी पढें- MP में व्यापम की तर्ज पर इस इकलौती यूनिवर्सिटी में महा घोटाला जानकारी के अनुसार 18 जून को विश्वविद्यालय की ओर से आदेश निकाला गया कि शासन स्तर से जांच प्रतिवेदन के संबंध में अग्रिम आदेश प्राप्त होने तक डॉ वृंदा सक्सेना को तत्काल प्रभाव से एग्जाम कंट्रोलर के कार्य से हटाया जा रहा है। 19 जून शनिवार को मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय की ओर से दूसरा आदेश जारी हुआ कि एक दिन पहले के आदेश को निरस्त किया जाता है। वर्तमान में संचालित परीक्षाओं को लेकर छात्र हित के मद्देनजर डॉ सक्सेना को फिर से एग्जाम कंट्रोलर का दायित्व सौंपा जा रहा है।
आरोप लग रहे हैं कि व्यापमं की तर्ज पर मेडिकल यूनिवर्सिटी में हुए रिजल्ट घोटाले के पीछे बड़ा खेल हुआ है। इसमें कई ओहदेदार, सफेदपोश के शामिल होने का अंदेशा जताया जाने लगा है। इसमें बड़े पैमाने पर आर्थिक घोटाले की भी आशंका जताई जा रही है। कहा जा रहा है कि रिजल्ट बनाने वाली संविदा कंपनी ने ही कुछ अधिकारियों के साथ मिलकर यह खेल खेला है। आरोप है कि कई नर्सिंग और डेंटल प्राइवेट कॉलेज के छात्रों के प्रेक्टिकल में नंबर बदल दिए गए हैं। गंभीर अनियमितता में फंसे एग्जाम कंट्रोलर डॉ वृद्धा सक्सेना से जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर कुलपति प्रो टीएन शुक्ला ने प्रभार छीना फिर 24 घंटे के अंदर ही अपना ही निर्णय पलट दिया।
आरोप लग रहे हैं कि रिजल्ट बनाने वाली संविदा कंपनी पर विश्वविद्यालय कई सालों से मेहरबान है। फेल-पास को लेकर जांच के घेरे में आयी कंपनी ने रिजल्ट के साथ ही आर्थिक घोटाला भी किया है। अधिकारियों के साथ मिल कर कंपनी के संचालन का खर्च भी विश्वविद्यालय से वसूलती रही, जबकि अनुबंध के तहत कामकाज से संबंधित संसाधनों के लिए विश्वविद्यालय और निजी कंपनी- माइंड लॉजिक्स इन्फोटेक बेंगलुरु को मिलकर खर्च उठाना था।
निजी सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ने अनुबंध शर्तों को कभी पूरा नहीं किया। शर्त के विपरीत विश्वविद्यालय ने निजी कंपनी के बिजली, इंटरनेट बिल की राशि अपने मद से जमा की, जबकि आधी राशि सर्विस प्रोवाइडर कंपनी को देनी थी। विश्वविद्यालय ने एक साल का इंटरनेट का बिल 41 लाख रुपए दूरसंचार कंपनी को दिया है। इसकी आधी रकम अब तक ठेका कंपनी ने जमा नहीं की है। अधिकारियों की इस दरियादिली के पीछे मोटे कमीशन का आरोप लग रहा है।
विश्वविद्यालय ने रिजल्ट का ठेका माइंडलॉजिक्स कंपनी को सौंपा था। मंशा थी कि इससे पारदर्शिता आएगी, लेकिन हुआ उलटा। इसके बावजूद ठेका कंपनी को अनुबंध शर्तों के विपरीत पहले किराए में राहत दी गई। फिर बिजली बिल भी विश्वविद्यालय की मद से जमा हो रहा है। यह खेल सालों से चल रहा है।
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