बंगाल की खाड़ी में बन रहा चक्रवात
मौसम विज्ञान केन्द्र अधारताल के प्रभारी एके वर्मा ने बातया कि अब तक मौसम में ओखी तूफान का असर था। अब बंगाल की खाड़ी में दूसरा साइक्लॉन भी तैयार हो रहा है। इसकी वजह से बंगाल की खाड़ी व आसपास के क्षेत्रों में हवा के निम्न दाब का क्षेत्र बन गया है। इसका नार्थ मद्रास और यहां छत्तीसगढ़ तक रह सकता है। इसकी वजह से मौसम गड़बड़ाने की संभावना है। यदि चक्रवात बंगाल की खाड़ी में ही नियंत्रित हो गया, दो-चार दिन में मध्य प्रदेश का मौसम साफ हो जाएगा।
वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का असर
मौसम विज्ञान केन्द्र प्रभारी श्री वर्मा के अनुसार मध्यप्रदेश के मौसम को लाल सागर भी प्रभावित कर रहा है। लाल सागर से उठकर पाकिस्तान और राजस्थान के रास्ते मध्य प्रदेश तक आ रही हवाएं वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का असर यहां छोड़ रही हैं। बादल छाए रहने और न्यूनतम तापमान में बढ़त की यह एक बड़ी वजह है। वेस्टर्न डिस्टर्बेंस और बादलों की वजह से ही रातों का तापमान बढ़ा हुआ है। हालांकि अभी इसका असर बहुत कम है। ऐसा माना जा रहा है कि यह ज्यादा प्रभावी नहीं रहेगा। वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के निष्प्रभावी होते ही, माहौल में कड़ाके की ठंडक लौट आएगी।
और इधर ग्रहों का फेर
ज्योतिर्विद पं. जनार्दन शुक्ला के अनुसार ज्योतिष शास्त्र में शनि और शुक्र प्रबल ग्रह माने गए हैं। इन ग्रहों की अस्ति के कारण प्रकृति में बदलाव आ सकता है। जब भी ३-४ ग्रह एक साथ अस्त होते हैं तो मौसम में प्रतिकूलता संभावित रहती है। १० दिसम्बर रात ४.५३ बजे बुध, ११ दिसम्बर शाम ६.४२ बजे शुक्र ग्रह अस्त होंगे। इसके पूर्व ५ दिसम्बर रात ८.१२ बजे शनि ग्रह अस्त हो गए हैं। इन ग्रहों के अस्तांचल में प्रवेश का असर ग्रह मंडल पर है। वहीं १६ दिसम्बर दोपहर १२.०४ बजे सूर्य भी राशि बदलकर धनु राशि में प्रवेश कर रहे हैं। सूर्य फिलहाल मंगल की वृश्चिक राशि में है। भूमि पुत्र मंगल की रशि को छोड़कर गुरू की राशि में सूर्य के प्रवेश से भी ग्रहमंडल में हलचल रहेगी। इसका सीधा असर पृथ्वी पर पड़ेगा। मौसम के कारण लोगों की सेहत प्रभावित हो सकती है।