ओएफके में गत वित्तीय वर्ष से इस बम का उत्पादन शुरू कर दिया गया है। फैक्ट्री में सेमी नॉक्ड डाउन (एसकेडी) प्रारूप में करीब 9 हजार बम को तैयार कर सेना के हवाले किया गया था। एसकेडी का मतलब स्वीडन से बम के सभी कंपानेंट लाकर उसकी असेम्बलिंग ओएफके में की गई। अब इसके कम्पलीट नॉक्ड डाउन (सीकेडी) प्रारूप को तैयार करना है। इसमें कुछ कंपोनेंट स्वीडन आएंगे, बांकी का उत्पादन ओएफके और दूसरी निर्माणियों में किया जाएगा।
पूरी तकनीक सीखेगा दल
स्वीडन में इस बम की तकनीक सीखने के लिए पहले भी कुछ दल जा चुके हैं, लेकिन सीकेडी महत्वपूर्ण प्रारूप होता है, इसलिए विशेष दल को वहां भेजा जा रहा है। बताया जाता है कि पहले इसी हफ्ते इसे भेजने की तैयारी थी, लेकिन सरकार से अभी अनुमति नहीं मिलने के कारण इस टूर को स्थगित किया गया है।
क्या है खासियत
इस बम की सेना में बड़ी मांग रहती है। इसकी सहायता से सैनिक दुश्मन के आधुनिक टैंक को आसानी से उड़ा सकता है। रक्षा उत्पादन क्षेत्र से जुड़े जानकारों का कहना है कि वर्तमान में जिन टैंकों का निर्माण हो रहा है उसमें एक्प्लोसिव रिएक्टर आर्मर जैसी नई रक्षा प्रणाली लगी होती हैं। इसे भेदकर टैंक को उड़ाना आसान नहीं होता। 751 में दो हेड लगे होते हैं। एक टैंक टकराकर नष्ट हो जाता है लेकिन दूसरा उसे भेद देता है।
751 बम के सीकेडी प्रारूप का उत्पादन शुरू होना है। इसके प्रशिक्षण के लिए ओएफके का दल स्वीडन भेजा जाएगा। प्रोजेक्ट के लिए जरुरी उपकरण और मटैरियल का इंतजाम भी प्राथमिकता के साथ किया जा रहा है।
एके अग्रवाल, वरिष्ठ महाप्रबंधक ओएफके