यह बात रविवार को पत्रकारवार्ता में कर्मचारी महासंघों के राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने कही। एआइडीइएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एसएन पाठक का कहना था कि सरकार ईएमई स्टेशन वर्कशॉप को बंद कर दिया है । ऑर्डनेंस डिपो मर्ज किए जा रहे है। जबलपुर में सेना का डेयरी फॉर्म बंद कर दिया है। आयुध निर्माणियों पर भी इसी तरह का संकट खड़ा होने वाला है। उनका आरोप था कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने कार्यकाल में देश की किसी आयुध निर्माणी में नहीं गए। लेकिन शनिवार को निजी संस्थान के उत्पाद को देखने वहां गए। उसका प्रचार किया।
475 उत्पाद नॉन कोर में बीपीएमएस के राष्ट्रीय संगठन मंत्री नरेन्द्र तिवारी का कहना था कि सरकार ने 675 रक्षा उत्पादों में 475 को नॉन कोर घोषित कर दिया है। इन्हें निजी क्षेत्र को दिया जा रहा है। इसका परिणाम यह होगा कि 25 हजार कर्मचारी कार्यविहीन हो जाएंगे। वर्कशॉप को गोको मॉडल पर चलाया जाएगा। उनका कहना था कि सरकार 70 फीसदी वर्दीधारियों को तो पेश्ंन दे रही है लेकिन सिविल कर्मचारियों को इससे वंचित क्यों रखा जा रहा है। आईएनडीडब्ल्यूएफ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अरुण दुबे का कहना था कि कर्मचारियों का भविष्य संकट में है। लेकिन सरकार अपनी हठधर्मिता नहीं छोड़ रही है। इस दौरान जयमूर्ति मिश्रा, अनिल शर्मा, नेमसिंह, बीबी गुहा ठाकुरता एवं एनके कोचर सहित सुरक्षा संस्थानों की यूनियनों के नेता मौजूद थे।
तीन दिन की हड़ताल, पांच दिन बंद रहेगा उत्पादन सुरक्षा संस्थानों को कोर और नॉन कोर के नाम पर बंद करने और नई पेंशन स्कीम को तुरंत बंद करने सहित प्रमुख मुद्दों को लेकर सुरक्षा संस्थानों में 23 से 25 जनवरी तक हड़ताल रहेगी। इससे पांच दिन कार्य प्रभावित होगा, क्योंकि 26 को गणतंत्र दिवस और 27 जनवरी को रविवार है। इसका व्यापक असर रक्षा उत्पादन पर होगा। इस बार हड़ताल में तीनों प्रमुख संगठन एआईडीईएफ, बीपीएमएस और आइएनडीडब्ल्यूएफ साथ है।
हड़ताल को लेकर महासंघों से सम्बधित यूनियनों की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। किस जगह प्रदर्शन करना है। कहां पिकेट लगाए जाएंगे, इन तमाम विषयों को लेकर आयुध निर्माणी खमरिया, 506 आर्मी बेस वर्कशॉप, सीओडी, वीकल फैक्ट्री जबलपुर, गन कैरिज फैक्ट्री और ग्रे आयरन फाउंड्री के अलावा एमईएस की यूनियनों के बीच चर्चा का दौर चल रहा है। इस बीच प्रबंधन ने भी इस स्थिति से आयुध निर्माणी बोर्ड को अवगत करवा दिया है। उक्त दिवसों के रक्षा उत्पादन की भरपाई कैसे हो इसकी रणनीति भी बनाई जा रही है।