रेलवे कर्मी है पति
नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा तहसील निवासी पूना बाई ने २०१५ में यह अपील दायर की थी। इसमें कहा गया कि उसके पति रमेश कु मार कुशवाहा रेलवे में कार्यरत हैं। उसके पति द्वारा नरसिंहपुर जिला अदालत में दायर तलाक का मामला १७ सितंबर 2008 को मंजूर कर अदालत ने एकतरफा तलाक की डिक्री पारित कर दी। मांग की गई कि इस फै सले को निरस्त करते हुए उसे पति से भरण-पोषण के लिए खर्चा दिलाया जाए।
इस तर्क को कोर्ट ने किया खारिज
महिला ने तर्क दिया कि उसे उक्त तलाक के मामले की कोई जानकारी नहीं मिली। रेलवे की ओर से उसकी एक अर्जी के जवाब में 15 अप्रैल 2015 को बताया गया कि उसके पति को निचली अदालत से तलाक मिल चुका है। तब जाकर उसे इस फैसले की जानकारी मिली। लिहाजा अपील में हुआ विलंब क्षमा किए जाने योग्य है।
विलंब से दायर हुई याचिका
कोर्ट ने निर्णय में कहा कि अपील 2358 दिन विलंब से दायर की गई। निचली अदालत ने 16 मई, 2008 को अपीलकर्ता को नोटिस जारी कर तलाक के मामले की सूचना दी थी। लेकिन अपीलकर्ता के हाजिर न होने पर १७ सितंबर, 2008 को कोर्ट ने पति के पक्ष में एकतरफा फैसला दे दिया।
कोई ठोस आधार नहीं
अपीलकर्ता ने यह भी नहीं बताया कि बीते 6-7 साल के दौरान भरण-पोषण के लिए आवेदन दिया या नहीं। इसकी कोई स्पष्ट वजह भी नहीं बताई गई। कोर्ट ने कहा कि उक्त विलंब स्वीकारणीय नहीं है। तलाक के नौ साल बाद बिना किसी ठोस आधार के अपीलकर्ता को गुजारा-भत्ता मांगने का अधिकार नहीं है।