नृत्य प्रेमियों के आराध्य नटराज
साधक एवं ज्योतिषाचार्य विचित्र महाराज ने बताया महादेव का नृत्य तांडव है। इसके दो रूप हैं एक रौद्र तो दूसरा शक्तिशाली होते हुए भी शांतचित्त रहकर मगन रहना। इस मुद्रा में भगवान शिव नटराज रूप में अपने बाएं हाथ को पीछे व सामने वाले हाथ को हाथी की तरह सामने रखते हैं। भगवान शिव का नटराज रूप का अर्थ है कि भगवान शिव शक्तिशाली हैं, फिर भी वह शांत व नम्रचित्त नजर आते हैं।
अघोरी के भैरव अवतारी
दुनिया से वैराग्य व अघोर तंत्र के साधक अघोरियों को भगवान शिव का परम भक्त माना जाता है। ये संत परंपरा में सबसे अलग माने जाते हैं। अघोरी सांसारिक और गृहस्थ जीवन से दूर रहकर शिवजी की भक्ति में लीन रहते हैं। अघोरी भगवान शिव के भैरव अवतार को अपना गुरु मानते हैं। जिस तरह से भगवान शिव मुंडों की माला यानी कपाल धारण करते हैं उसी तरह से अघोरी भी मुर्दो का कपाल पहनते हैं। अघोरी और नागाओं का पहनावा दूसरे संतों से अलग होता है। ये भगवान शिव की तरह अपने शरीर पर श्मशान की भस्म लगाते हैं और अपना ज्यादातर समय तंत्र साधना करते हुए व्यतीत करते हैं।
ब्रह्माकुमारी के शिव बिंदु सर्वमान्य
ब्रह्माकुमारी विनीता बहन ने बताया हमारे शिव को बिंदु मानने का मुख्य कारण कि हम उनके बच्चे हैं। वैसे तो दैहिक रूप से माता पिता है, लेकिन परमात्मा आत्मा का पिता है, और आत्मा का स्वरूप बिंदु है। इसलिए ब्रह्माकुमारी के परिवार में ज्योति बिंदु स्वरूप शिव को सबकुछ माना जाता है। इसकी एक वजह ये भी है कि बिंदु स्वरूप हर धर्म, संप्रदाय के नाम भले ही अलग हैं लेकिन ये सर्वमान्य हैं। इनके अलावा भी भगवान के कई रूपों को पूजा जाता है।