धन-धान्य की वृद्धि
ज्योतिषाचार्य पं. जनार्दन शुक्ल के अनुसार इस बार मकर संक्रांति सिद्ध योग में शेर पर सवार होकर आ रही है। संक्रांति का आगमन शुभ संयोग में हो रहा है। खीर खाते हुए एवं पीले रंग के वस्त्रों में आ रहीं संक्रांति धन-धान्य, सुख-समृद्धि में वृद्धि करने वाली होगी। अनाज, दूध एवं मीठी सामग्री के कारोबार में वृद्धि होगी। हर तरफ खुशहाली के समाचार प्राप्त होंगे। सरकारें जनहित से जुड़े कई बड़े निर्णय ले सकती हैं।
उत्तर से दक्षिण में गमन
ज्योतिषाचार्य पं. शुक्ला के अनुसार मकर संक्रांति का आगमन सिद्ध योग, अश्विनी नक्षत्र एवं 14 जनवरी की रात के तीसरे प्रहर में होगा। संक्रांति 14 जनवरी को रात्रि 2 बजकर 20 मिनिट पर होगी। इस कारण संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी हो दिन भर रहेगा। संक्रंाति दक्षिण दिशा से आ रही है और उत्तर दिशा में गमन होगा। इस कारण उत्तर क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता एवं मतभेद हो सकता है। अन्य क्षेत्रों के लिए शुभ होगा।
इन राशियों के लिए शुभ
ज्योतिषाचार्य पं. अखिलेश त्रिपाठी के अनुसार संक्रांति सिंह पर सवार होकर अश्वनी नक्षत्र में और सर्वार्थ सिद्धि योग में आ रही हैं। संक्रांति का आगमन मेष, वृष, मिथुन, सिंह, कन्या, तुला, धनु, मकर और कुंभ राशि के लिए विशेष रूप से शुभ रहेगा। इन राशि के जातकों को कार्य में सफलता, पदोन्नति, सम्मान प्राप्ति आदि के योग हैं। वहीं कर्क, वृश्चिक, और मीन राशि के लिए संक्रांति ज्यादा शुभकारक नहीं है। संक्रांति पर तिल, वस्त्र, कंबल, मच्छरदानी, तिल व उड़द की खिचड़ी के लिए चावल आदि का दान करना श्रेयस्कर माना जाता है। इस दान का उपाय करके जातक उचित राहत व लाभ अर्जित कर सकते हैं।
शुरू होंगे मांगलिक कार्य
मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होंगे। प्रकृति में परिवर्तन के कारण कुछ क्षेत्रों में मेले के आयोजन किए जाते हैं। बसंत ऋतु की खुशहाली होती है। पशु पक्षी भी शीत से मुक्त हो जाते हैं। इसके बाद गर्मी बढऩे लगती है और धीरे-धीरे दिन बड़े होने लगते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति को तिल संक्रांति भी कहते हैं। मकर संक्रांति के पुण्य काल में खिचड़ी, तिल एवं गर्म कपड़े का वितरण करना शुभ माना जाता है। नर्मदा एवं प्रमुख तीर्थों में लोग दान पुण्य करते हैं। मकर संक्रांति को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। उसके बाद मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। इस धार्मिक पर्व के बाद शुभ कार्यों के उत्सव शुरू होते हैं। घरों में खिचड़ी, तिल के लड्डू व पकवान बनाए जाते हैं।
ऐसे करें स्नान
ज्योतिषाचार्यां के अनुसार सूर्य के अयन परिवर्तन यानी मकर संक्रांति पर पवित्र जलाशयों और पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। चूंकि भगवान सूर्य सर्वव्यापी हैं, इसलिए इनकी पूजा कभी भी की जा सकती है। लेकिन प्रात: संधिकाल और सायंकाल संधिकाल में स्नान और पूजन अति लाभकारी रहता है। मकर संक्रांति पर काले तिल, जौ आदि के उबटन से स्नान करना चाहिए। ओम घृणि सूर्याय नम:… मंत्र से भगवान सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। यह छोटा सा उपाय करने से सारे विघ्न टल जाते हैं। मकर संक्रांति पर कथा श्रवण व भगवान शिव का अभिषेक करने से विशेष लाभ होता है।