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जबलपुर

गांव में नहीं थम रहा कुपोषण, आंकड़ों से सकते में विभाग

सिहोरा-मझौली विकासखंड में 150, नगरीय क्षेत्र में 31 बच्चे कुपोषण का शिकार

जबलपुरFeb 12, 2019 / 01:42 am

sudarshan ahirwa

malnutrition In village

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जबलपुर. सिहोरा. सरकार कुपोषण को दूर करने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है। इनकेलम्बे समय से जारी रहने के बाद भी गांवों में कुपोषण से ग्रसित बच्चों का मिलना चिंता का विषय है। कुपोषण को दूर करने महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा चलाए गए अभियान में सिहोरा-मझौली ब्लॉक में 150 बच्चे कुपोषण के शिकार मिले। इन आंकड़ों से विभाग सकते में हैं।

सिहोरा विकासखंड में महिला एवं बाल विकास परियोजना नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित 188 आंगनबाड़ी केंद्रों द्वारा किए गए सर्वे में 73 बच्चे कुपोषण के शिकार मिले। सिहोरा नगर भी इससे अछूता नहीं रहा है। नगर स्थित 19 आंगनबाड़ी केंद्रों में 20 बच्चे गंभीर कुपोषित के चिन्हित किए गए हैं, वहीं गांव स्थित आंगनबाड़ी केंद्रों में 53 बच्चे कुपोषण के शिकार मिले। मझौली ब्लॉक में भी स्थिति अच्छी नहीं है। नगरीय क्षेत्र में 11 और ग्रामीण आंनबाड़ी केंद्रों में 66 बच्चे कुपोषित मिल हैं।
यह है कुपोषण
कुपोषण जांचने का पैमाना बच्चे का वजन होता है। जन्म के समय बच्चे का वजन कम से कम 2.5 किलोग्राम होना चाहिए। इससे कम वजन का बच्चा जन्म से कुपोषण की बीमारी से ग्रसित माना जाता है। 6 माह के बच्चे का वजन कम से कम 5.5 किलोग्राम होना चाहिए।

चिन्हित कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य लाभ के लिए दवाओं के साथ दोगुना आहार देकर उसके वजन पर निगरानी संबंधित वार्ड की कार्यकर्ता द्वारा रखी जा रही है। सिहोरा सिविल अस्पताल में बने पोषण पुनर्वास केंद्र में अति कुपोषित बच्चों को उनकी माताओं के साथ भर्ती किया जाता है। 15 दिन तक बच्चों को पोषण आहार देकर उनके वजन की नियमित जांच होती है।

फैक्ट फाइल
ब्लॉक-सेक्टर-कुपोषित बच्चे
सिहोरा-06-73
मझौली-09-77

कुपोषण को कम करने लगातार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। खासकर मजदूर और गरीब वर्ग में कुपोषित बच्चों की संख्या ज्यादा है। जागरुकता की कमी के चलते ऐसे लोग सामने नहीं आते।
मनीष शर्मा, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास, जबलपुर

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