उल्लेखनीय है कि खुड़ावल गांव के 80 के लगभग युवक सेना, बीएसएफ, आरपीएफ सहित अन्य बलों में भर्ती होकर देशसेवा कर रहे हैं। वर्ष 2016 में इसी गांव की माटी में जन्मे रामेश्वर लोधी शहीद हुए थे। रामेश्वर उनसे एक साल जूनियर थे। सिहोरा उत्कृष्ट विद्यालय से 12वीं पास होने के बाद से ही वे भर्ती की तैयारियों में जुट गए थे। दो साल पहले सीआरपीएफ में उनका चयन हुआ, तो परिजन की खुशी का ठिकाना नहीं था। राजस्थान में ट्रेनिंग पूरी होने के बाद छह महीने पहले ही वे जम्मू-कश्मीर में तैनात हुए थे। वह पढ़ाई के दौरान ही एनीसीसी की ट्रेनिंग ले चुके थे। घर में इकलौते अश्वनी को ही सरकारी नौकरी मिली थी। बेहद साधारण परिवार के अन्य सभी सदस्य मजदूरी पर निर्भर हैं। मां बीड़ी मजदूर हैं।