ऐसे चलेगा अभियान
– 15 जनवरी से 28 फरवरी तक चलेगा टीकाकरण
– 7.50 लाख बच्चों को जिले में टीका लगाने का लक्ष्य
– 2.20 लाख बच्चे सिर्फ शहर में, जिन्हें टीका लगना है
– 10 जोन में शहर को बांटा गया है टीका लगाने के लिए
– 163 टीमें बनाई गई है जो स्कूल जाकर टीका लगाएंगे
– 21 हजार बच्चे मंगलवार को शहर में कवर होंगे
– 22 हजार बच्चों को ग्रामीण क्षेत्रों में लगेगा टीका
– 05 सौ से पांच हजार रुपए तक है टीका का बाजार मूल्य
इसके आधार पर सुरक्षित होने का दावा
– 1985 वर्ष से देश में बच्चों को लगाया जा रहा है एमएमआर वैक्सीन
– 28 राज्यों के 20 करोड़ बच्चों का इस अभियान में टीका लगाया जा चुका है
– 09 से 15 वर्ष तक के बच्चों को पहले से लगता रहा है अलग-अलग टीका
– 90 देशों में इसी वैक्सीन की आपूर्ति, जिसे अभियान में लगाया जा रहा है
एक्सपर्ट बोले-
नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में फॉर्माकोलॉजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सचिन कुचिया के अनुसार मीजल्स-रुबेला का टीका अगली पीढ़ी तक असर करेगा। रुबेला संक्रमित गर्भवती महिला के बच्चे में मानसिक विकलांगता की आशंका रहती है। यह टीका रूबेला जनित अन्य बीमारियों से भी बच्चों का बचाव करेगा। टीका लगने के बाद बच्चे को बुखार आए, तो घबराएं नहीं। यह लक्षण टीकाकरण के बाद आ सकते हैं। इस स्थिति में चिकित्सक से परामर्श ले सकते हैं। यह टीका अभियान के तहत एक साथ लगाया जा रहा है। ताकि, मीजल और रुबेला के संक्रमण को पूरे देश से एक साथ समाप्त किया जा सके।
कोई साइड इफेक्ट नहीं
जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. एसएस दाहिया के अनुसार एमएमआर के टीके बच्चे की सुरक्षा के लिए जरूरी हैं। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। अभियान में प्रशिक्षित स्टाफ यह टीका लगाएगा। दो चिकित्सक भी साथ में रहेंगे। बच्चों को किसी तरह की परेशानी होती है, तो उसका चिकित्सक तुरंत उपचार करेंगे। भ्रामक प्रचार पर अभिभावक ध्यान न दें।