प्रथम तल पर आईसीयू तक पहुंचने के लिए प्रवेशद्वार संकरा बना है। इसमें एक समय में एक ही व्यक्ति निकल सकता है। सामने से आने वाले व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति के निकलने का इंतजार करना पड़ता है। यहां चैनल गेट भी लगाया गया है। जानकार कहते हैं कि अस्पताल में आईसीयू में अधिकतर गंभीर मरीज ही भर्ती किए जाते हैं। आईसीयू में प्रत्येक रोगी के पलंग के बीच सामान्य मरीजों से अधिक अंतर रखा जाता है, जिसमें विद्युत आउटलेट, केंद्रीय ऑक्सीजन, संपीडि़त हवा और अन्य लाइनें होती हैं। आईसीयू में राउंड दी क्लॉक ट्रीटमेंट किया जाता है, जिसमें यहां चिकित्सीय उपकरण सतत चालू रहते हैं। एेसे समय इसका नियमित रूप से रखरखाव किया जाना अनिवार्य है।
मेडिकल के बच्चा आईसीयू में मरीज के साथ उनके अटेंडेन्ट बने हुए थे। कुछ बेड पर दो अटेंडेन्ट भी थे। आईसीयू में चिकित्सा मशीन चल रही थी। इस दौरान एक ही प्रवेशद्वार से मरीज के अटेंडेन्ट आ-जा रहे थे। एक बेड पर तो प्लास्टिक की मच्छरदानी भी बंधी हुई थी। वार्ड के एसी उपकरणों के पास बारिश के पानी की सीपेज थी।
– मुंबई के एक अस्पताल में गत वर्ष आईसीयू में आग लग गई थी। कोरोना काल में मरीजों की काफी फजीहत हुई थी।
– अहमदाबाद में हाल ही अस्पताल के आईसीयू में आग से मरीजों की दम घुटने की वजह से मौत हो गई है।
– मेडिकल के आईसीयू में गत वर्ष गैस लीक होने की वजह से धुआं भर गया था, जिसे मरीजों में भगदड़ मच गई थी।
कमजोर बिजली कनेक्शन से शॉर्ट सर्किट का खतरा
केंद्रीय वातानुकूलित अस्पताल के लिए धुआं निकासी प्रबंधन प्रणाली नहीं
अग्नि सुरक्षा रोकने प्रशिक्षित कर्मचारियों का अभाव
रोगी मिलने के समय पर कोई पाबंदी नहीं -अस्पताल के आईसीयू का नियमित रूप से रखरखाव किया जाता है। आईसीयू को लेकर प्रबंधन अलर्ट है।
डॉ. राजेश तिवारी, अधीक्षक, मेडिकल