हाईकोर्ट का निर्देश
बालाघाट कलेक्टर के खिलाफ जांच के लिए तैनात करो उच्चस्तरीय अधिकारी
बालाघाट जिले की लांजी विधानसभा से पूर्व विधायक किशोर समरीते की ओर से याचिका दायर की गई। अधिवक्ता शिवेंद्र पांडे ने कोर्ट को बताया कि बालाघाट जिले के कलेक्टर दीपक आर्य ने रेत माफिया, शराब ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाया। बदले में उन्होंने रिश्वत और गैरकानूनी उपहार लिए। भ्रष्टाचार की कमाई से आर्य ने अपने गृह जिले डिंडोरी में दो करोड़ का मकान बनवाया। इसकी शिकायत याचिकाकर्ता ने लोकायुक्त से की। कार्रवाई न होने पर 11 सितम्बर 2020 को समरीते ने भारत सरकार के कैबिनेट सचिव से शिकायत की।
कैबिनेट सचिव ने इसे मप्र सरकार के मुख्य सचिव को अग्रेषित कर कार्रवाई के लिए कहा। लेकिन, मप्र सरकार ने शिकायत की जांच बालाघाट कलेक्टर को ही सौंप दी। कलेक्टर ने 12 अक्टूबर 2020 को समरीते को पत्र लिखकर शिकायत के पक्ष में साक्ष्य और दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा। चेतावनी दी गई कि साक्ष्य, दस्तावेज पेश नहीं किए गए, तो शिकायत खारिज कर दी जाएगी। अधिवक्ता पांडे ने तर्क दिया कि राज्य सरकार की ओर से कलेक्टर को ही कलेक्टर के खिलाफ शिकायत की जांच सौंपना गलत है। विधि का सुस्थापित सिद्धांत है कि कोई भी व्यक्तिअपने खिलाफ शिकायत पर जज या जांचकर्ता नहीं हो सकता। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका निराकृत करते हुए शिकायत की जांच दूसरे उच्चस्तरीय अधिकारी से कराने का निर्देश दिया। लोकायुक्तका पक्ष अधिवक्ता सत्यम अग्रवाल ने रखा।